________________
४२ बोल पृष्ठ १७६ से १७७ तक । यक्षे छात्रा ने अंधा पाड्या ते पिण व्यावच ( उत्त० अ० १२ गा० ३२)
४३ बोल पृष्ठ १७७ से १७६ तक । गोशालाने भगवान् वचायो ते ऊपर न्याय (भग० श० १५) इति जयाचार्य कृते भ्रमविध्वंसने ऽनुकम्पाऽधिकारानुक्रमणिका समाप्ता।
लब्धि-अधिकारः ।
१ बोल पृष्ठ १८० से १८२ तक । लब्धि फोड्यां पाप ( पन्न० प० ३६ )
२ बोल पृष्ठ १८२ से १८३ तक । आहारिक लब्धि फोड्यां ५ क्रिया लागे ( पन्न० ५० ३६ ) . ३ बोल पृष्ठ १८३ से १८४ तक । आहारिक लब्धि फोडवे ते प्रमाद आश्री अधिकरण (भ० श० १६ उ०१)
४ बोल पृष्ठ १८४ से १८६ तक । लब्धि फोड़े तिण ने मायी सकषायी कह्यो (भग० श० ३ उ०४)
५ बोल पृष्ठ १८६ से १८८ तक। जंघा चारण. विद्या चारण लब्धि कोड़े आलोयां विना मरे तो विराधक (भ० श० २० उ०६)
६ बोल पृष्ठ १८८ से १६० तक। छद्भस्थ तो सात प्रकारे चूके (ठा० ठा०७)
७ बोल पृष्ठ १६० से १६३ तक। अम्वर वैक्रिय लब्धि फोड़ी (उवाई प्र०१४)