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नन्दिसंघ बलात्कारगण पट्टावली
(परमानन्द जैन शास्त्री) प्रस्तुत पहावली नन्दि संघ की है, जो मूल संघका ही जी को नहीं लगती, क्योंकि यह बात अर्वाचीन है। ये एक भेद माना जाता है। श्रानार्य अर्हद्ली द्वारा पंच वर्षीय पदमनंदि विक्रम की १४-१५ वीं शताब्दी के विद्वान हैं। युगप्रतिक्रमण के समय जो संघ स्थापित किए गए थे, उन और बलात्कार गण का उल्लेख विक्रम की 11 वीं शताब्दी में गृहा निवासी मंच ही 'नन्दी' नाम में उल्लेखित किया गया के उत्तरार्ध (१८८७ में मलसंघ के साथ सम्बद्ध मिलता है। जिस तरह अशोकयाट कुल देवबंध में अभिन्न है है। इसमे बलात्कारगण का सम्बन्ध भट्टारक पदमनंदि की उमी तरह नन्दिसंघ भी गृहनिवासी कुल सं अभिन्न है। घटना में प्रचलिन हा नहीं माना जा सकता। किन्तु उस इन संघो के अनेक गण-गच्छ है। नंदिमघ भी उत्तर और का अर्थ जबर्दम्ता किंगा कगने में जान परता है। अभी दक्षिण के भेद से दो भागों में विभक मिलना है। पानियों बलात्कार गण का वास्तनिक इनिहाय प्रकाश में नहीं मा में भी नंदिमय का उल्लेख नथा नंदिगण मिलता है। जैन पाया है जिम लाने की जरूरत है। लेख संग्रह भाग ३ में प्रकाशित अनेक लेग्यों-(०४७,३७३, पट्टावलियों में परम्पर विभिन्नता दृष्टिगोचर होती है। ३७५, ३०१, ३८०) आदि में दामन संघान्तर्गन नंदिसंघ नंदिगंध का इस समय दो पहावलियां उपलब्ध हैं। एक का उल्लेख किया गया है।
मंस्कृत पट्टावला, दुसरी मारवाडी भापा की संकलित पट्टादक्षिणापथ के नंदिसंघ में 'बलहारिया यलगार' गण के वली । मारवाडी भाषा की पट्टावली में जन्म वर्ष, दीक्षा नाम पाये जाते है, किन्तु उत्तरापथ क नंदिपंध में मरम्ब- वर्ष, पदट वर्ष और पूर्ण बायु का ब्योरा अंकित है। और तीगच्छ और बलात्कार गण ये दो ही नाम मिलने है। उनमें जातियों का नाम भी उल्लिखित है। किन्तु प्रति 'बलगार' शब्द स्थान विशेष का द्योतक है। लगता है बल. अशुद्ध है, इसकी शुन्द्र प्रति मेरे देखने में नहीं पाई। गार नामक स्थान से निकलने के कारण 'बलगार' नाम च्यात
मंगकृत पटटावली में माघनंदी को पूर्वपढांशबंदी और हुना होगा । बलगार नाम का एक ग्राम भादाण भारत
नरंदव बंद्य बतलाया है । श्रनावतार के कर्मा इन्द्रनंदी अर्हद में है २ बलाकार शब्द स्थान वाची नहीं है किन्तु जबर्दम्ना
वली के अनन्तर अनग: गव माघनंदी का उल्लेख करते क्रियाओं में अनुरक होने या लगाने श्रादि वे कारण इसका
है । जो अंगो और पुत्रों का एक देश प्रकाशित कर समाधि नाम बलात्कार हुया जान पड़ता है। महारक पद्मनाद ने जो इस गण के नायक थे सरस्वती को बलात्कार में बुलवाया
दाग म्वर्गवायी हुए थे। अजमेर की पट्टावली में 'नंदी वृन
मूलं वपा यांगा हतः म माधनन्दी' और उन्हीं के द्वारा नंदी था, इस कारण उसे बलात्कार कहा जाता है, और ..च्छ 'मारभ्यत' नाम म म्यात हुमा है ३ । परन्तु यह बात भी
संघ की स्थापना हुई या बनलाया है परन्तु उसमें पट्ट का
प्रारम्भ माघनदी में न कर भद्रबाह में किया है। यदि १ श्री मद् द्रविलमंधे ऽस्मिन् नंदिसंधे ऽम्त्यरुङ्गलः प्रस्तुत माघनंदी, प्राकृत पट्टावला में अभिहित माघनंदी जैन शिला मं० भा०३
मंदान्तिक हो, जिनका पट काल २१ वर्ष बनलाया गया २ दखा मिडियावल जैनिज्म प० ३२७
है। और हो सकता है कि ये वही माघनंदी मंदान्तिक हों, ३ पद्मनंदी गुरुजातो बलात्कारगणाग्रणीः ।
जिनक सम्बंध में कुम्हार की पुत्री में विवाह करने की कथा पापाण_टता यन वादिता श्रीसरस्वती ।।
प्रचलित है, बाद में जो प्रायश्चित लेकर मुनि संध में मम्मिउजयात गितातन गच्छःसारस्वतो ऽभवत् । लिन हो गए थे। वर्तमान में माघनंदी की चतुर्विशति तीर्थकर अतस्तस्म मुनीन्द्राय नमः श्री पद्मनंदिने । जयमाला उपलब्ध है, जो बडी सुन्दर है और उसक १४ नंदिसंघ गुपावली
पद्या का स्वर मंगति मटक पर बाप लगान हुए गाने में मधुर