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कलकत्ता में महावीर जयन्ती
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जैन सूचना केन्द्र
दतवाय अधिकारी डा. समन इस अवसर पर प्रधान सांयकाल पदीदास टेम्पुल स्ट्रीट स्थित श्री शीतल नाथ अतिथि थे। स्वामी के मन्दिर के अहाते में प. बंगाल विधान परिषद्
सार्वजनिक सभा के अध्यन डा. सुनीतिकुमार चाटुा द्वारा जैन सूचना
रात्रि में श्री जैन सभा के तत्वावधान में अहिंसा केन्द्र का उद्घाटन हुअा।।
प्रचार समिति हाल में, श्री रामचन्द्र सिंघा जे. पी. की
अध्यक्षता में सार्वजनिक सभा हुई । सर्वोदय नेता श्री सिद्ध ___ डा. चाटुा ने अपने विद्वत्तापूर्ण भाषण में जैन धर्म
गज ढका ने प्रधान वक्रा के रूप में भगवान् महावार के और यकृत की महत्ता प्रतिपादित करत हए कहा कि
जीवन दर्शन का विश्लेषण किया। पं. गौरीनाथ शास्त्री भारतीय दार्शनिक चिन्तन एवं विचारधारा में जैन धर्म का
ने कहा कि भारत में जब जब धर्म की रजा न हुई और महन्नपूर्ण योगदान रहा है । जैनधर्म ने अहिंसा के । सिद्धांतों को पूर्ण रूप दिया है।
दुम्ब दारिद्य प्राया, इस भूमि पर एक न एक अवतारी
पुरुष अवतरित हुना। भगवान महावीर की गणना भी विक्टोरिया मेमोरियल के प्रबन्धक हा. सरस्वती ने
ऐसे ही अवतारी पुरुषों में है। साह शान्ति प्रसाद जैन ने इस अवसर पर भाषण करते हुए कहा कि वर्तमान काल
कहा कि भारत में ज्ञान की जो सत्त धारा बहती जा रही में ही नहीं, महावीर क काल में भी बंगभूमि के साथ
था. उसम महावीर ने अपने व्यक्तित्व के माध्यम से एक जैनधर्म का निकटतम सम्पर्क रहा।
नयी धारा बहायी । श्री मोहनलाल दुगढ़ ने भावपूर्ण शब्दों जर्मन संघाय प्रजातंत्र के कलकत्ता स्थित वाणिज्य- में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
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शोक-सभा
प्रस्ताव वीर संवामंदिर २१ दरीयागंज में • जून को ७ से।
वीर सेवामंदिर की यह ग्राम सभा भारत के महान् बजे सायंकाल एक ग्राम सभा जवाहर लाल नेहरू के प्राकम्मिक निधन पर श्रन्जलि अर्पित करने के लिय राय नेता पं. जवाहर लाल नेहरू के प्राकस्मिक निधन पर गहरी मा० ला• उल्फतराय को अध्यक्षता में हुई।
वेदना अनुभव करती है। नेहरू जी का जीवन त्याग, वक्ताओं में प्रमुग्ब श्रा यशपाल जी जैन ने पं० जबाहर बलिदान और सेवा से ओत-प्रोत था, उन्होंने देश को ऊपर लाल नेहरू के रक्तिम्ब का परिचय कराते हुए उनके जीनान
उठाया और विश्व को शान्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा की कुछ मौलिक घटाए बतलाई। और कहा कि नेहरू जैसा लोक प्रिय नेता अब विश्व में नजर नहीं पाता, नेहरू जी
दी। गाय अहिंसा आदि के लिये जो वातावरण उन्होंने जहां नीति माहित्य और इतिहास के विद्वान धे, वहां वे
उत्पन्न किया, वह उनकी चिरम्मरणीय दन है। धारमचल के धनी थे । वे जो कहते थे आत्मविश्वास के साथ ऐसे युग-पुरुष को खाकर हम सब की जो क्षति हुई करते थे। उनकी हरता, कर्तव्य परायणता, उदारता और
है, उसकी पूर्ति कदापि नहीं हो सकती। लोक सेवा की माना उन्हें दुनिया में शांति कार्य करने के लिये प्रारत करता था। पंचशील और सह अग्निव यह सभा नेहरू जी के प्रति अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि उनके जीवन सहचर थे.थे लोक में उनका प्रचार करने में वित करती है कि उनके जीवन के प्रादर्श पीर प्रेरणाए समर्थ हो मक। वर्तमान भारत की प्रगति उन्हीं की देन है।
हमारा मदा मार्ग-दर्शन करती रहें। उनके दिवंगत हो जाने से भारत की ही नहीं, विश्व की महान क्षति हुई है, जिसकी पूर्ति होना असंभव है।
यह सभा उनके परिजनों, विशेषकर श्रीमती इंदिराप्रेमचन्द्र जैन गांधी के प्रति अपनी समवेदना प्रकट करती है।