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वीर-सेवा-मन्दिर के उपयोगी प्रकाशन
सभी ग्रन्थ पौने मूल्य में
(1) पुरातन-जैनवाक्य-सूची-प्राकृत के प्राचीन ४६ मृल्य-ग्रन्थों की पद्यानुक्रमणी, जिसके साथ ४८ टीकादिग्रन्थ में
उन्छ त दुसरे पद्यों की भी अनुक्रमणी लगी हुई है। सब मिलाकर २५३२३ पद्य-वाक्यों की सूची । सम्पादक मुग्टनार श्री जुगलकिशोर जी की गवेषणापूर्ण महत्व की ७. पृष्ठ की प्रस्तावना से अलंकृत, डा. कालीदास नाग, एम. ए. डी. लिट् के प्राक्कथन (Foreword) और डा. ए. एन. उपाध्ये एम. ए. डी. लिर की भूमिका
(Introduction) मे भृषिन है, शोध-खोज के विद्वानों के लिए अतीव उपयोगी, बटा, माइज सजिलद १५) (२) प्राप्त परीक्षा-श्री विद्यानन्दाचार्य की बापज सटीक अपूर्व कृति, प्राप्तों की परीक्षा द्वारा ईश्वर-विषय के
सुन्दर विवेचन को लिग हुण, न्यायाचार्य पं. दरबारीलालजी के हिन्दी अनुवाद मे युक्त, सजिल्द । ८) (३) म्वयम्भृम्तोत्र-समन्तभद्रभारती का अपूर्व ग्रन्थ, मुग्तार श्रीजुगलकिशोरजी के हिन्दी अनुवाद तथा महब
की गवेषणापूर्ण प्रस्तावना से मुशोभित ।। (४) स्तुतिविद्या-स्वामी समन्तभद्रकी अनोग्बी कृति, पापों के जीतने की कला, मटीक, मानुवाद और श्रीजुगलकिशोर
मुन्नार की महत्व की प्रस्तावनादि से अलंकृत सुन्दर जिल्द-पहित । (५) अध्यात्मकमलमार्तण्ड-पंचाध्यायीकार कवि राजमल्लकी मुन्दर प्राध्यामिकरचना, हिन्दीअनुवाद-महिन ॥) (६) युक्यनुशायन-तत्वज्ञान से परिपूर्ण समन्तभद्र की अमाधारण कृति, जिग्यका अभी तक हिन्दी अनुवाद नहीं
हुअा था। मुख्तार श्री के हिन्दी अनुवाद और प्रस्तावनादि में अलंकृत, जिल्द । ... (७) श्रीपुरपार्श्वनाथम्तोत्र-प्राचार्य विद्यानन्द रचित, महत्व की स्तुति, हिन्दी अनुवादादि सहित । ... ॥) (८) शामनचतुम्चिशिका-(तीर्थपरिचय) मुनि मदनकीतिकी १३वीं शताब्दी की रचना, हिन्दी अनुवाद-सहित ) (6) ममीचीन धर्मशास्त्र--स्वामी समन्तभद्र का गृहम्धानार-विषयक प्रत्युनम प्राचीन ग्रन्थ, मुन्नार श्री जुगलकिशोर
जी के विवेचनात्मक हिन्दी भाप्य और गपणामक प्रस्तावना से युक्त, पजिल्द । (1.) जैनग्रंथ-प्रशस्ति संग्रह-संस्कृत और प्राकृत के १७१ अप्रकाशित ग्रंथोंकी प्रशस्तियोंका मंगलाचरण यहिन
अपूर्व संग्रह, उपयोगी ११ परिशिष्टों और पं परमानन्दशास्त्री की इतिहास विषयक साहित्य परिचया मक
प्रस्तावना से अलंकृत, मजिल्द । (11) अनिन्यभावना-प्रा. पदमनन्दी की महत्व की रचना, मुख्तार श्री के हिन्दी पद्यानुवाद और भावार्थ पहित ।) (१२) तत्वार्थमूत्र--(प्रभाचन्द्रीय)-मुख्तारश्री के हिन्दी अनुवाद नया व्याख्या से युक्त । (१३) श्रवणबेलगोल और दक्षिण के अन्य जनतीर्थ । (१४) महावीर का सर्वोदय तीर्थ), (१२)समन्तभद्र विचार-दीपिका )। (१६) महावीर पूजा। (५७) बाहुबली पूजा---जुगलकिशोर मुख्तार कृत (16) अध्यात्म रहस्य--पं० श्राशाधर की सुन्दर कृति मुग्टतार जी के हिन्दी अनुवाद सहित (१९) जनप्रध-प्रशम्ति संग्रह भा० २ अपभ्रशके १२२ अप्रकाशित ग्रंथोंकी प्रशस्तियोंका महत्वपूर्ण मंग्रह १५ ग्रन्थकारों के
ऐतिहासिक ग्रंथ-परिचय और उनके परिशिष्टों महिन । सम्पादक पं परमानन्द शास्त्री मृग मजिन्द (२०) जैन माहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश, पृष्ठ पंच्या ७४० सजिल्द (वीर-शासन-संध प्रकाशन ...१) (२१) कसायपाहुड मुत्त-मृलग्रन्थ की रचना श्राज से दो हजार वर्ष पूर्व श्री गुणधराचार्य ने की, जिस पर श्री
यतिवृषभाचार्य ने पन्द्रह मौ वर्ष पूर्व छह हजार श्लोक प्रमाण चूर्णिसूत्र लिखे । सम्पादक पं हीरालाल जी सिद्वान्त शास्त्री, उपयोगी परिशिष्टों और हिन्दी अनुवाद के साथ बडी साइज के १००० से भी अधिक पृष्ठों
में । पुष्ट कागज, और कपड़े की पक्की जिल्द । (२२) Reality श्रा० पूज्यपाद की सर्वार्थसिद्धि का अंग्रेजीमें अनुवाद बड़े आकार के ३०० पृष्ठ पक्की जिल्द मू० (६ प्रकाशक-प्रेमचन्द जैन, वीरसेवान्दिर के लिए, पवन प्रिन्टिग वर्स, ३०१, दरीबा, दिल्ली मे मंद्रित