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नन्दि संघ बलात्कारगण पट्टावली
रतनपद और उनका काव्य-गंगाराम गर्ग एम.ए. १८० -परमानन्द जैन शास्त्री " ३५ राजस्थानी भाषा का प्रध्यात्म गीतनिमिनाह चरिउ-श्री अगरचन्द नाहटा २२६ बघेरवाल जाति-डा० विद्याधर जोहरापुरकर ६३ पं. जवाहरलाल नेहरू क्या थे?
५० वाग्भट्ट के मंगलाचरग का रचयिता पल्लू ग्राम की प्रतिमा व अन्य जन सरस्वती प्रतिमाएं
-श्री क्षुल्लक सिद्धसागर
૨૪ -श्री धीरेन्द्र जैन ५७ विश्वमंत्री-डा. इन्द्रचन्द्र जैन
१०३ प्राचीन मथुग के जनों की सघ व्यवस्था
शब्द साम्य और उक्ति साम्य-मुनि श्री नगराज १०० -डा. ज्योतिप्रसाद जैन
श्री शम्भव जिन स्तुति-समन्तभद्राचार्य १४५ बह्म जीवघर और उनकी रचनाएँ
शातिनाथ स्तोत्रम्-पद्मनंदाचार्य -परमानन्द जैन शास्त्री
१४. शान्ति और सौम्यता का तीर्थ कुण्डलपुर भगवान महावीर (कविता)-वमन्त कुमार जैन ७२
-श्री नीरज जैन भगवान महावीर के जीवन प्रसग
शोध-कण-परमानन्द जैन शास्त्री
१६६ -मुनि श्री महेन्द्रकुमार प्रथम १७ शोध टिप्णभट्टारक विजय कीर्ति-डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल ३०८.१ प्रागमों के पाठ भेद और उनका मुख्य हेतु भव्यानन्द पचाशिका-भक्तामर स्तोत्र का अनुवाद
-मुनि श्री नथमल -मुनि श्रीकान्ति सागर
८३ २. राजा श्रीपाल उर्फ ईल भारतीय दर्शन की तीन धाराएँ
-प० नेमचन्द्र धन्नूसा जैन १२० -भगवानदास विज एम. ए.
७ ३. अनार्य देशो मे तीर्थकरों और मुनियो का विहार भारतीय संस्कृति में बुद्ध और महावीर
-मुनि श्री नथमल -मुनि श्री नथमल
१६५ ४. द्रोणगिरि-डा० विद्याधर जोहरापुरकर भीतर और बाहर (कविता)-भूधरदास १९४ श्रद्धाजलि-टाइटल पेज मन्दिरों का नगर मड़ई-श्री नीरज जैन सतना ११७ श्री पद्मप्रभ जिनस्तवन-समन्तभद्राचार्य मगध और जैन सस्कृति-डा. गुलाबचन्द एम ए. २१२ श्रीपुर में राजा ईल से पूर्व का जैन मन्दिर महाकोशल का जैन पुरातत्त्व-बालचन्द जैन एम. ए. १३६
नेमचन्द धन्नूसा जैन
२४५ महापंडित आशाधर-व्यक्तित्व एव कृतित्व
श्री शम्भव जिन-स्तुति-समन्तभद्राचार्य १४५ -प० अनूपचन्द न्यायतीर्थ ६७ श्री सुपाश्र्व जिन-स्तवन-समन्तभद्राचार्य २४१ महावीर का गृह त्याग-डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल १६ संत श्री गुणचन्द-परमानन्द शास्त्री
१८६ माणिकचन्द : एक भवन कवि-गगराम गर्ग एम.ए. २७८ संवेग-मुनि श्री नथमल जी
१५७ मोक्षमार्ग की दृष्टि से सम्यग्ज्ञान का निरूपण
समयसार नाटक-डा. प्रेमसागर
२०२ -पं० सरनाराम जैन बड़ौत १८२ समर्पण (कविता)-स्व. बाबू जयभगवान मोक्ष शास्त्र के पाचवे अध्याय के सूत्र ७ पर विचार सम्यग्दृष्टिकाविवेक
५९ -पं० सरनागम जैन बड़ौत १० सर्वोदय का अर्थ-प्राचार्य विनोबा भावे यज्ञ और अहिसक परम्पराएं-प्राचार्य श्री तुलसी २६६ साहित्य-समीक्षा-डा. प्रेमसागर ४८, ६६, १९२ युगपुरुष की भाग्यशालिता-काका साहब कालेलकर ५१ साहित्य-समीक्षा-परमानन्द शास्त्री ९६, १४४, २२५ रिइधू कृत.'सावय चरिउ' समत्तकउमइ ही है - होयसल नरेश विष्णु वर्धन और जैनधर्म -प्रो. राजाराम जी जैन एम. ए. २५०
पं० के भुजबली शास्त्री
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आपण