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अनेकान्त के मत्तरहवें वर्ष की विषय-सूची
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प्रजीमगंज भंडार का रजताक्षरी कल्पसूत्र
जैनदर्शन और पातजल योगदर्शन -भवरलाल नाहटा
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-साध्वी मघमित्रा जी अनेकान्त और अनाग्रह की मर्यादा
जैनदर्शन मे सप्तभगीवाद . -मुनि श्री गुलाबचन्द जी १२७
-उपा० मुनि श्री अमरचन्द जी २५३ अपभ्र श का एक प्रमुख कथा-काव्य
जैनधर्म तर्क सम्मत और वैज्ञानिक -डा. देवेन्द्रकुमार शास्त्री
-मुनि श्री नगराज अपभ्रश का एक प्रेमाख्यानक काव्य'विलासवईकहा । जैनधर्म में मूति-पूजा-डा० विद्याधर जोहरा पुरकर १५५ -डा. देवेन्द्र कुमार शास्त्री
जैनभघ के छ अग--डा० विद्याधर जोहरा पुरकर २३१ अयोध्या एक प्राचीन ऐतिहासिक नगर
जैनसन्त भ. वीरचन्द्र की साहित्य-सेवा । -
-डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल -परमानन्द जैन शास्त्री
जैन-साहित्य में प्रार्य शब्द का व्यवहार अर्हत्परमेष्ठी स्तवन-मुनि पद्मनन्दि आकस्मिक वियोग
-साध्वी श्री मजुला जी प्राचार्य भावसेन के प्रमाण विषयक विशिष्ट मत
जो देता है वही पाता है -प्राचार्य तुलसी
जैन समाज के समक्ष ज्वलत प्रश्न -डा. विद्याधर जोहरापुरकर २३ ३८वे ईमाई तथा ७वे बौद्ध विश्व सम्मेलनों की
-कुमार चन्द्रसिह दुधौरिया कलकत्ता १८६ थी जैन संघ को प्रेरणा-मुनि कनकविजयजी २८१ तृता
तृतीय विश्वधर्म मम्मेलन-ड्रा० बूलचन्द जैन २३६
तेरहवी-चौदहवी शताब्दी के जैन सस्कृत महाकाव्य और आँसू ढुलक' पडे (मार्मिक कहानी)
डा० श्यामशकर दीक्षित एम. ए --डा. नरेन्द्र भानावत
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दलपतराय और उनकी रचनाएँ कलकत्ता में महावीर जयन्ती
-डा० प्रभाकर शास्त्री एम. ए. कल्पमूत्र . एक सुझाव
दशवकालिक के चार शोध-टिप्पण -कुमार चन्दमिह दुधौरिया
-मुनि श्री नथमलजी कविवर भाऊ की काव्य-साधना
दिगम्बर कवियो के रचित वेलिमाहित्य डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल
__--श्री अगरचन्द नाहटा कावड एक चलता-फिरता मन्दिर
दिग्विजय (पेनिहामिक उपन्यास) -महेन्द्र भानावत
-पानन्द प्रकाश जैन जबूप्रमाद जैन २५ कविवर रइधू रचित सावय चरिउ
दिल्ली पट्ट के मूल सघी भट्टारकों का समय क्रम । - -श्री अगरचन्द नाहटा
डा. ज्योतिप्रसाद जैन
५४, १५६ खजुराहो का प्रादिनाथ जिनालय-श्री नीरज जैन ३७५
दूसरे जीवों के साथ अच्छा व्यवहार कीजिए गेही पै गृह में न रचे (कहानी)
शिवनारायण सक्मेना एम ए -प० कुन्दनलाल जैन एम. ए. १२४
देवतामों का गढ, देवगढ-श्री नीरज जी सतना २६७ जगतराय की भक्ति-गगाराम गर्ग एम. ए. - १३३ वही मगलमय है-प्रशोक कमार जैन जिनवर स्तवनम्-पद्मनन्द्याचार्य
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धर्म स्थानों में व्याप्त मोरठ की कहानी जैनग्रन्थे प्रशस्ति सग्रह पर मेरा अभिमत
-महेन्द्र भानावत एम. ए. -प० दरबारीलाल कोठिया ३३ ध्यान-डा. कमलचन्द सोगाणी जैनदर्शन और उसकी पृष्ठभूमि
नया मन्दिर धर्मपुरा दिल्ली के जैन मूर्ति लेख -१०कैलाशचन्द जैन शास्त्री १४७
-परमानन्द जैन शास्त्री
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