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विषय-सूची
अनेकान्त को सहायता
१०) जैन समाज के प्रसिद्ध ऐतिहासिक विद्वान् श्री विषय
० | ५० जुगलकिशोर जी मुख्तार ने अपनी ८८वीं जन्म १. श्रीपद्मप्रभ-जिनस्तवन-समन्तभद्राचार्य १६३
६३ | जयन्ति के उपलक्ष मे निकाले हा दान मे से दस रुपया २. भीतर और बाहर (कविता)-भूधग्दाम १६४
अनेकान्त को प्रदान किये है इसके लिए वे धन्यवाद के ३. भारतीय संस्कृति मे बुद्ध और महावीर
पात्र है। -मुनि श्री नथमल ४. अपभ्रश का एक प्रेमाख्यानक काव्य-विलास
५) प० रूपचन्द जी गार्गीय पानीपत के सुपुत्र चि०
| सुरेश कुमार के विवाहोपलक्ष मे निकाले हए दान मे से वई कहा-डा० देवेन्द्र कुमार शास्त्री
पाच रुपया सधन्यवाद प्राप्त । ५. समयमार नाटक- डा०प्रेममागर जैन
५) जयपुर निवासी प० सुरज्ञानी चन्द जी न्यायतीर्थ ६. मगध और जैन संस्कृति
के मुपुत्र श्री भवरलाल जी के विवाहोपलक्ष मे पाँच रुपया -डा० गुलाबचन्द चौधरी एम. ए पी. एच. डी
२१२
डा० कस्तूर चन्द जी कासलीवाल को मार्फत सधन्यवाद ७ प्राचीन मथुरा के जैनों की सघ-व्यवस्था
प्राप्त हुए। --डा. ज्योतिप्रमाद जैन, लखनऊ २१७ ८ जैन समाज के लिए तीन सुझाव
अनेकान्त के स्थायी सदस्य बनें -प्राचार्य श्री तुलमी
अनेकान्त के प्रेमी पाठको से अनुरोध है कि वे अपने १. दशवकालिक के चार शोध-टिप्पण
| मित्रो को ग्राहक बनाये। साथ ही विद्वानो और समाज -मुनि श्री नथमल जी
२२२/
के कार्यवाहको से निवेदन है कि वे अनेकान्त के स्थायी १० नेमिनाह चरिउ-श्रीअगरचन्द नाहटा २२६ मदस्य बने । और अपने मित्रों आदि को बनाने का यत्न ११ कल्पसूत्रः एक सुझाव
करे । स्थायी सदस्य फीस १०१) रु० है। प्राशा है, -कुमार चन्द सिह दुधौरिया कलकत्ता २३० । माधर्मी महानुभाव अनेकान्त के स्थायी सदस्य बनकर १२ जैन संघ के छ अग
जैन धर्म और जैन सस्कृति के विकास में अपना सहयोग -डा० विद्याधर जोहग पुरकर जावग २३१ | प्रदान करेंगे। १३ जैन सन्त श्री वीरचन्द की साहित्य-सेवा
-व्यवस्थापक -डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल एम ए
अनेकान्त पी. एच. डी. जयपुर
वीर सेवा मन्दिर २१ दरियागंज, १४. तृतीय विश्व धर्म सम्मेलन
दिल्ली। -डा० बूलचन्द जैन १५ साहित्य-समीक्षा-परमानन्द शास्त्री
अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपये सम्पादक-मण्डल
एक किरण का मल्य १ रुपया २५ न०१० डा० प्रा० ने० उपाध्ये
अनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पादक डा. प्रेमसागर जैन
मण्डल उत्तरदायी नहीं है। श्री यशपाल जैन
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