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महाकोशल का जैन पुरातत्त्व
(बालचन्द्र जैन एम० ए०, साहित्य शास्त्री, रायपुर संहालय) प्रस्तुत निबंध में प्रयुक्त 'महाकोशल' पद से पुराने मलयप्रदेश के उन मत्रह हिन्दी भापी जित्नों का निर्देश है, जाधव जबलपुर भर गयपुर कमिश्नास्यों के अन्तर्गत है।
प्राचीन भूगल ने अनुसार भारत भूमि पर कोमल' नाम के दो प्रदश . जो क्रमश. उt कोमल और दक्षिण कामन कहे जाने । उत्तर कोमल दश में अयोध्या और उसका समापवती नत्र सम्मिलिन या, नथव दक्षिण कोमल छनीमगढ़ के गयपुर और बिलासपुर जिलों तथा सम्बलपुर के क्षेत्र नकम्तृित था । गत. दक्षिणा कामल प्रदेश उमा नाम + उत्तरीय प्रदेश में विस्तार में बड़ा था. अतएव इसे महाकोमल का जादा जाने कंगा थी । किन्तु प्राधनिक गजनीनिक जागरण ने म..कोशल की नयी मीमा का निर्माण किया जिसक अनुमा. प्राचान दक्षिण कोमलीय झंत्र * साथ जबलपुर, होगमावाद, नरसिंहपुर. बगडवा, मागर बालाघाट बैतूल अादि जिलों तक विग्लन नेय भी महाकौशल में मम्मिलित कर लिये गय । इस लेख में हमी बडे विस्तार वाले महाकोशल के जैन पुरातत्व के विषय में श्रावश्यक जानकारी संक्षप में दे दने का प्रयत्न किया गया है। ___ महाकोशल में ईम्बी पन ६०० से पूर्व की जन पुरातत्व सामग्री अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है। किन्तु इससे यह अनुमान लगाना कि उसमे पूर्व के काल में यहा जैन रहने नहीं थे, उचित नहीं होगा। छत्तीसगढ़ में लगे उहीमा
(अजितनाथ और मंभवनाय, ५० वीं शती ईम्बी, प्रदेश में जनधर्म का प्रचार भगवान महावीर के जीवनकाल्न में ही हो चुका था। नन्द-मौर्य और उसके पश्चात उडीमा
कागनलाई. जिला जबलपुर) के चेदिवशीय खारवेल के समय में उड़ीमा जैन मतावलम्बियो जैन प्रतीत होने है। यह गामा मौर्यकाल की मानी गई है। का विश्चत केन्द्र बना हुआ था । गमी स्थिति में उसके गुप्तांत्तर काल की कुछ जैन प्रतिमाएं छतीसगढ में पडोमी छत्तीसगढ़ में अवश्य ही जैनधर्म का प्रचार रहा गयपुर और बिलासपुर जिला क गांवों में मिली है । रायपुर होगा । लेकिन या तो पर्याप्त सर्वेक्षण के प्रभाव अथवा जिले में इस प्रतिमा सामग्री का केन्द्र मिरपुर (प्राचीन श्रीकाल के दुष्प्रभाव के कारण छत्तीसगढ़ की प्राचीनतम जन पुर) और बिलासपुर जिले में मल्लार (प्राचीन मल्लाल) प्रतिमाएं आदि अभी तक अनुपलब्ध हैं । इसक विपरीत है। मल्लार को जन प्रनिगाए यहां-वहां बिखरा पड़ा है। कुछेक विद्वानों का मत है कि सिरगजा जिले की रामगढ कई-एक प्रतिमाएं नो विशालकाय है जिनका समय कलचूरपहाड़ी में स्थित जोगीमारा गुफा की कलाकृतियों के विषय कान है। किन्तु इस स्थान से जो अम्बिका देवी की खड़ी
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