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विषयानुक्रम
-- प्रस्तावना -- १. तत्त्वार्थसूत्रकार उमास्वाति
१-२८ (क) वाचक उमास्वाति का समय ६, (ख) उमास्वाति की योग्यता १३, (ग) उमास्वाति की परम्परा १५, (घ)
उमास्वाति की जाति और जन्मस्थान २७ २. तत्त्वार्थ के व्याख्याकार
२८-४२ (क) उमास्वाति २८, (ख) गन्धहस्ती २९, (ग) सिद्धसेन ३४, (घ) हरिभद्र ३६, (ङ) यशोभद्र तथा यशोभद्र के शिष्य ३७, (च) मलयािर ३८, (छ) चिरंतनमुनि ३८, (ज) वाचक यशोविजय ३८, (झ) गणी यशोविजय ३९, (अ) पूज्यपाद ४०, (ट) भट्ट अकलङ्क ४१, (ठ) विद्यानन्द ४१, (ड) श्रुतसागर ४१, (ढ) विबुधसेन, योगीन्द्रदेव,
लक्ष्मीदेव, योगदेव और अभयनन्दसूरि आदि ४२ ३. तत्त्वार्थसूत्र
४२-५९ (क) प्रेरकसामग्री : १. आगमज्ञान का उत्तराधिकार ४२, २. सस्कृतभाषा ४२, ३. दर्शनान्तरों का प्रभाव ४३, ४. प्रतिभा ४३ (ख) रचना का उद्देश्य (ग) रचनाशैली (घ) विषयवर्णन : विषय का चुनाव ४६, विषय का विभाजन ४७, ज्ञानमीमांसा की सारभूत बातें ४७, तुलना ४८, ज्ञेयमीमांसा की सारभूत बाते ४९, तुलना ५०, चारित्रमोमांसा की सारभूत बातें ५३,
तूलना ५४ ४. तत्त्वार्थ की व्याख्याएँ
५९-७१ (क) भाष्य और सर्वार्थसिद्धि : १. सूत्रसख्या ६१,
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- सत्रह -
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