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असरिस - महिमाणं पुज्जमाणं पमाणं, धिद-सुमण-समीसं सुद्धबोधप्पयासं । गदमदकरमोहं दिव्वणिग्घोसजुत्तं, विगद - रयकलावं मल्लिणाहं णमामि ॥3 ॥
अन्वयार्थ – (असरिस - महिमाणं) असदृश महिमावाले, ( पुज्जमाणं पमाणं ) पूज्यमान गणधरादि के लिए भी प्रमाणभूत (धिद-सुमण - समीसं ) अच्छे मन को धरने वालों के स्वामी, (सुद्धबोधप्पयासं) शुद्धज्ञान के प्रकाशरूप, (गदमदकरमोहं) मदकारक मोह से रहित (दिव्व- णिग्घोसजुत्तं) दिव्यध्वनि युक्त, (विगद - रयकलावं) कर्ममल समूह से रहित (मल्लिणाहं णमामि ) मल्लिनाथ भगवान को मैं नमन करता हूँ ।
अर्थ - असदृश महिमावाले, पूज्यमान गणधरादि के लिए भी प्रमाणभूत, अच्छे मन को धरने वालों के स्वामी, शुद्धज्ञान के प्रकाशरूप मदकारक मोह से रहित दिव्यध्वनि युक्त, कर्ममल समूह से रहित, मल्लिनाथ भगवान को मैं नमन करता हूँ।
जइणवसहसामिं जोइणं झाणगम्मं, जण मरणहीणं सव्वदोसप्पहीणं । खग-र-सुरसेव्वं पंचकल्लाणजुत्तं, विगद - रयकलावं मल्लिणाहं णमामि ॥ 4 ॥
अन्वयार्थ – (जइणवसहसामि ) जैनधर्म के स्वामी, (जोइणं झाणगम्मं ) योगीजनों के ध्यानगम्य (जणणमरण-हीणं) जन्म-मरण से रहित (सव्वदोसप्पहीणं) सभी अठारह दोषों से रहित (खग - णर - सुरसेव्वं) विद्याधर, मनुष्य, देवों द्वारा सेव्य, (पंचकल्लाणजुत्तं) गर्भादि पंचकल्याणकों से युक्त (विगद - रयकलावं) कर्ममल समूह से रहित (मल्लिणाहं णमामि ) मल्लिनाथ भगवान को मैं नमन करता हूँ ।
अर्थ —जैनधर्म के स्वामी, योगीजनों के ध्यानगम्य, जन्म-मरण से रहित, सभी अठारह दोषों से रहित, विद्याधर, मनुष्य, देवों द्वारा सेव्य, गर्भादि पंचकल्याणकों से युक्त, कर्ममल समूह से रहित, मल्लिनाथ भगवान को मैं नमन करता हूँ ।
समदि-गलिद मोहं बालबंभोसरूवं, चउसठ- चमरेहिं पाडिहेरट्ठजुत्तं ।
अणुवम- सुहणाणं मोहमल्लप्पमल्लं । विगद - रयकलावं मल्लिणाहं णमामि ॥5॥
अन्वयार्थ - (समदि-गलिद - मोहं) स्वमति से मोह को नष्ट करने वाले (बालबंभोसरूवं) बालब्रह्म स्वरूप (चउसठ- चमरेहिं) चौंसठ चँवर (पाडिहेरट्ठजुत्तं)
मल्लिणाह - त्थुदी :: 43