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कुगदिपधणियंता मोक्खमग्गस्स भत्ता, पयडिगहणहंता सव्वसंतावसंता ।
गयणगमण-गंता मुत्तिरामाहिमंता,
जयदु जगदि णिच्चं वड्ढमाणो जिणिंदो ॥3 ॥
अन्वयार्थ - ( कुगदिपध नियंता) कुगतिपथ के नियंत्रक (मोक्खमग्गस्स भत्ता) मोक्षमार्ग के स्वामी (पयडि गहण हंता) गहन प्रकृतियों के हंता (सत्त-संताव संता) जीवों के संताप को शांत करने वाले (गयणगमणगंता) गगन गमन करने वाले (मुत्तिरामाहिमंता) मुक्तिरूपी स्त्री के लिए अभीष्ट (वड्ढमाणो जिणिंदो) वर्धमान जिनेन्द्र (जगदि) जगत में (जयदु) जयवंत होवें ।
अर्थ - कुगतिपथ के नियंत्रक, मोक्षमार्ग के स्वामी, गहन - कठिन कर्म प्रकृतियों नाशक जीवों के संताप को शांत करने वाले, गगन (आकाश) में गमन करने वाले, मुक्तिरूपी स्त्री के लिए अभीष्ट, वर्धमान जिनेन्द्र जगत में जयवंत होवें ।
सजलजलदणादो णिज्जिदासेसवादो,
दिणुदपादो वत्थु - तच्चत्थणादा । जिदभवि - भवकुंदो णट्ठकोवारिकंदो,
जयदु जगदि णिच्चं वड्ढमाणो जिणिंदो ॥ 4 ॥
अन्वयार्थ - (सजलजलदणादो) जल से पूर्ण मेघ के समान दिव्यध्वनि वाले (णिज्जिदासेसवादो) सकल वादों को जीतने वाले (णरवदिणुपादो) नरपति से नमस्कृत चरण वाले (वत्थु तच्चत्थणादो) वस्तु तत्त्वार्थ के ज्ञाता (जिदभवि भववुंदो) भव्यजीवों के भवसमूह को जीतने वाले ( णट्ठकोवारिकंदो) क्रोधसमूह का नाश करने वाले (वड्ढमाणो जिणिंदो) वर्धमान जिनेन्द्र (जगदि) जगत में (जयतु) जयवंत होवें ।
अर्थ - जल से पूर्ण मेघ के समान दिव्यध्वनिवाले, सकलवादों को जीतने वाले, नरपति से नमस्कृत चरण वाले वस्तु तत्त्वार्थ के ज्ञाता, भव्यजीवों के भवसमूह को जीतने वाले क्रोधसमूह का नाश करने वाले वर्धमान जिनेन्द्र जगत में जयवंत होवें ।
सुबल-बल विसालो मुत्तिकंतारसालो,
विमलगुणसरालो णिच्च कल्लोलमालो। विगदसरणसालो धारिदो सच्छभालो,
जयदु जगदि णिच्चं वड्ढमाणो जिणिंदो ॥5॥
अन्वयार्थ—(सुबल बल विसालो) अनंतवीर्य रूप विशाल बल वाले, ( मुत्तिकंता रसालो) मुक्ति रूपी स्त्री के रसाल, (विमलगुणसरालो) निर्मलगुण के 82 :: सुनील प्राकृत समग्र