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गोम्मट जिनेन्द्र को नमस्कार ( 5 फरवरी 2009, गोम्मटेश्वर के प्रथम दर्शन पर रचित स्तुति)
1. आदि जिनेन्द्र ऋषभदेव के पुत्र, माता सुनंदा के नेत्रों को आनन्द देने वाले सुरेन्द्र
समूह से सेवित गोम्मट (गोम्मटेश्वर बाहुबली स्वामी) जिनेन्द्र को नमस्कार हो। 2. नीलकमल पुष्प के समान लोचन, श्रेष्ठ कृष्ण सर्प के समान केशराशि, चंपक ___ पुष्प से भी अपूर्व नासिका वाले गोम्मट जिनेन्द्र को नमस्कार हो। 3. गजेन्द्र की सैंड के समान बाहु, श्रेष्ठ कंठ, पृष्ठभाग, कंधे, मध्यभाग और चरणों
वाले गोम्मट जिनेन्द्र को नमस्कार हो। 4. निर्ग्रन्थ मनोहर मुद्राधारी, त्याग के मार्ग के प्रदाता, अपूर्व शांति के पुंज गोम्मट __ जिनेन्द्र को नमस्कार हो। 5. मनोज (कामदेव) होते हुए भी मोह के नाशक, श्रेष्ठ भव्यजीवों को कल्पवृक्ष
समान, मोक्षमार्ग के आदर्श गोम्मट जिनेन्द्र को नमस्कार हो। 6. एक वर्ष के उपवास युक्त, लता आदि से आविष्ट साधक, निजात्मलीन, धीर___ गंभीर गोम्मट जिनेन्द्र को नमस्कार हो। 7. श्रेष्ठ सप्त तत्त्वों के उपदेशक, कषाय व शल्य को छोड़ने वाले तथा विमुक्ति मार्ग
का पोषण करने वाले गोम्मट जिनेन्द्र को नमस्कार हो। 8. अनंत ज्ञान, दर्शन, सुख आदि सभी गुणों के धारक, तीन लोकों के पूज्य आभूषण रूप श्री गोम्मटेश्वर बाहुबली स्वामी को नमस्कार हो।
। इति।
400 :: सुनील प्राकृत समग्र