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अन्वयार्थ-(भारहे उत्तर-देसे) भारत देश के उत्तर प्रदेश में, (सेठे एटा जणवदे) श्रेष्ठ एटा जनपद में (फफोदू गामो अत्थि) फफोतू ग्राम है (तम्हि अस्थि य बहुजणा) उसमें बहुत लोग रहते हैं।
अर्थ-भारत देश के उत्तरप्रदेश में, श्रेष्ठ एटा जनपद में, फफोतू ग्राम है। उसमें बहुत लोग रहते हैं।
पियारेलाल-जणगो, जयमाला सगेहिणी।
सकुडंबो णिवासेदि, संतुट्ठो तत्थ सग्गिहे ॥5॥ अन्वयार्थ-(तत्थ) वहाँ, (सगिहे) स्व-ग्रह में, (संतुट्ठो) संतुष्ट, (पियारेलाल-जणगो जयमाला सगेहिणी) प्यारेलाल पिता अपनी पत्नी जयमाला (सकुडुंबो णिवासेई) तथा कुटुंब सहित निवास करते थे। ____अर्थ-वहाँ स्वगृह में संतुष्ट पिता प्यारेलाल अपनी पत्नी जयमाला तथा कुटुंब सहित निवास करते थे।
तेसिं गेहे समुप्पण्णा, पंचपुत्ती तिपुत्तओ।
ओमप्पयास सण्णामो, जादो सम्मदिसायरो॥6॥ अन्वयार्थ-(तस्स) उनके, (गेहे) घर में, (पंचपुत्ती तिपुत्तओ) पाँच पुत्री, तीन पुत्र, (समुप्पण्णा) उत्पन्न हुए, (ओमप्पयास सण्णामो) ओमप्रकाश श्रेष्ठ नाम वाले (सम्मदिसायरो जादो) सन्मतिसागर हुए।
अर्थ-उनके घर में पाँच पुत्री, तीन पुत्र उत्पन्न हुए। ओमप्रकाश श्रेष्ठ नामवाले सन्मतिसागर हुए।
विमलसूरिणा दिक्खं, मेरठे तह खुल्लगं।
सम्मेदसिहरे तित्थे, मुणिदिक्खं च गिहिदं ॥7॥ अन्वयार्थ-(विमलसूरिणा) विमलसागर आचार्य द्वारा (मेरठे) मेरठ में, (खुल्लगं दिक्खं) क्षुल्लक दीक्षा (तहा) तथा (सम्मेदसिहरे तित्थे) सम्मेदशिखर तीर्थ पर (मुणिदिक्खं गहीयवं) मुनिदीक्षा को ग्रहण किया।
अर्थ-आचार्य विमलसागर से मेरठ में क्षुल्लक दीक्षा तथा सम्मेदशिखर तीर्थ पर मुनिदीक्षा को ग्रहण किया।
दो सयाहिय-दिक्खं च, दायारं सुसिक्खगं।
पालेदि पंचहाचारं, पालवेदि य अण्णयं ॥8॥ अन्वयार्थ-(दो सयाहिय-दिक्खं) दो सौ से अधिक दीक्षाएँ (दायारं) देनेवाले, (च) और (सुसिक्खगो) सुशिक्षक, (पंचहाचारं पालेदि) पंचविध आचार को पालते हैं (य) और (अण्णयं) अन्यों से (पालवेदि) पालन कराते हैं। 356 :: सुनील प्राकृत समग्र