________________
भ
另乐乐 乐乐 乐乐 乐乐 乐乐 乐乐 $
卐 अर कोई जायगा न दीखे, ताकू व्यभिचार कहिये । जैसे कोई मुनि ईर्यासमितिते यत्नतें गमन करे ॥ .. था, अर ताके पादतले कोई उडता जीव आय पडथा मरि गया, तौ ताकी हिंसा मुनींद्रकून
लागे। सो इहां बाह्यदृष्टिकरि देखिये सौ हिंसा भई, परंतु मुनीकै हिंसाका अध्यक्सान नाही, तातें बंधका कारण नाहीं से भी शासनस्तु जानना । अर बाह्यवस्तुविना निराश्रय अध्यवसान न होय, तातें ताका निषेध है ही। आगे कहे हैं जो या प्रकार बंधका कारणपणा
करि निश्चयकिया जो अध्यवसान, ताके अपनी अर्थक्रियाका करनेवालापणा नाहीं है, सातें ...याकै मिथ्यापणा है । जाकै अर्थक्रियाकारिपणा नाही, सो ही मिथ्या जो किया चाहिये सो 9 होय नाहीं, सो चाहि करना झूठा है, ऐसा दिखावे हैं। गाथा
दुक्खिदसुहिदे जीवे करेमि बंधेमि तह विमोचमि । जा एसा तुज्झ मदी णिरच्छया सा हु दे मिच्छा ॥३०॥
दु:खितसुखितान् जीवान् करोमि बन्नामि तथा विमोचयामि।
सा एषा तव मतिः निरर्थिका सा खलु अहो मिथ्या ॥३०॥ आत्मख्याति:-परान् जीवान् दुःखयामि सुखयामीत्यादि बंधयामि वा यदेतदध्यवसानं तत्सर्वमपि परमावस्य फ़ परस्मित्रन्याप्रियमाणत्वेन स्वार्थक्रियाकारित्वाभावात् खकुसुमं लुनामीत्यध्यवसानवन्मिध्यारूपं केवलमात्मनोऽनायव ।
कुतो नाध्यक्सानं स्वार्थक्रियाकारि ? इति चेत्+ अर्थ हे भाई, तेरी ऐसी बुद्धि है, जो मैं जीवनिळू दुःखी सुखी करू हूं तथा बंधावूह, 5 - छुडावू हुं सो यह बुद्धि मूढमति है-मोहस्वरूप है, निरर्थक है-जाका विषय सत्यार्थ नाही, " तातें निश्चय करि मिथ्या है। # टीका-परजीवनिक दुःखी करूहूँ, सुखी करू, इत्यादि तथा पंधाऊं छुडावू
इत्यादि जो यह अध्यक्सान है, सो सर्व ही मिथ्या है । जाते परभावका परविर्षे व्यापार न होने
听听 乐乐 乐乐 乐乐 乐乐 乐乐 -