Book Title: Samayprabhrut
Author(s): Kundkundacharya, 
Publisher: Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi

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Page 646
________________ फफफफफफफफफफफ 卐 卐 अभवत्पर्यायाभवनरूपाऽभावाभावश्चक्तिः । 卐 अर्थ-न होते पर्यायका नाहीं होना तिसरूप अभावाभावशक्ति है यह अठतीसमी है । कारकानुगत क्रियानिष्क्रान्तभवनमात्रमयी भावशक्तिः । --कारक जे कर्ता कर्म आदि तिनिविषै अनुगत जो क्रिया तातें रहित जो होनामात्र5 मयी सो भावशक्ति गुणतालीसमी है । अर्थ 卐 रातभव त्तारूपभावमयी क्रियाशक्तिः । 卐 卐 卐 अर्थ----कारककै अनुगत अनुसार होना तिसरूप भावमयी कियाशक्ति चालीसमी है । 卐 प्राप्यमाणसिद्धरूपभात्रमयी कर्मशक्तिः । अर्थ - पावनेमें आता है ऐसा सिद्धरूप aur aणाया जो भाव तिसमयी कर्मशक्ति 5 इकतालीसमी है । 卐 भवतारूपसिद्धरूपभावभावकत्वमयी कर्तृत्वशक्तिः । अर्थ -- होवाचणारूप जो सिद्धरूपभाव तिसके भाव कहिये होनेवाला तिसपणामयी कर्तृ वशक्ति बियालीसमी है । 卐 अर्थ -- होता जो भात्र करणशक्ति तियालीसभी है । भवद्भावभवनसाधकतमत्वमयी करणशक्तिः । तिसका होना तिसविर्षे अतिशयमान् जो साधक तिसपणामयी फफफफफफफफफफफफफ उत्पादव्ययालिङ्गितभावापाय निरपाय वत्वमयी अपादानशक्तिः । अर्थ - उत्पादव्ययकरि स्पर्शित जो भाव ताका अपायके होते निरपाय कहिये नष्ट न होता ऐसा ध्रुवपणामयी अपादानशक्ति पैतालीसम है। स्वयं दीयमानभावी पेयत्वमयी सम्प्रदानशक्तिः । अर्थ -- आपहीकरि देने में आवता जो भाव ताके प्राप्त होने योग्यपणा पावने योग्यपणामयी 5 , संप्रदानशक्ति चवालीसमी है । ० 卐 卐 க ६२

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