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स्वरूपनिर्वर्तनसामध्यंरूपा वीर्यशक्तिः ।
अर्थ - यह छठी वीर्यशक्ति है । कैसी है ? अपना निज आत्मस्वरूप ताका निर्वर्तन कहिये 'निपजावना रचना तिसको सामर्थ्य तिसरूप हैं ।
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अर्थ - यह आठमी विभुत्व नामा शक्ति है । कैसी है ? सर्वभावनिविषै व्यापक जो एक भाव 15 तिसरूप है जाका ज्ञान एक भाव सर्वभावनिविषै व्यापे है ।
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अस्त्र ण्डितप्रताप स्वातन्त्र्यशालित्वलक्षणा प्रभुत्वशक्तिः ।
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अर्थ - यह सातमी प्रभुत्वशक्ति है । कैसी है ? जो काहूकार खंड्या न जाय ऐसा अखं- फ दिन है प्रताप जाका ऐसा जो स्वाधीनपणा ताकरि शोभनीकपणा है लक्षण जाका ऐसी है । रूपा विशुशक्तिः ।
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भारपणात्मज्ञानमयी सर्वज्ञत्व प्रक्तिः ।
अर्थ - विश्व कहिये समस्त पदार्धनका समूहरूप लोकालोक, तिनिके समस्त जे विशेष भाव आकारनिहित भाव, तिनिके जाननेरूप परिणया है स्वरूप जाका ऐसो ज्ञानमयी दशमी सर्वज्ञत्व नामा शक्ति है ।
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विश्वविश्वान्यभावपरिणतात्मदर्शनमयी सर्वदर्शित्वशक्तिः ।
अर्थ
-यह नवमी सर्वदर्शिव नामा शक्ति है । कैसी है ? विश्व कहिये समस्त पदार्थ निका समूहरूप जो लोकालोक ताका सामान्यभाव सत्तामात्र तिसके देखनेरूप परिणया है स्वरूप फ्र जाका ऐसा दर्शन कहिये देखना तिसमय है ।
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नीरूपात्मप्रदेशप्रकाशमान लो कालीकाकार मंचकोपयोगलक्षणा स्वच्छत्वशक्तिः ।
अर्थ - अमूर्तिक आत्माका प्रदेशनिविषै प्रकाशमान जो लोकालोकका आकारकरि मेचक फ्र 45 कहिये अनेक आकाररूप दीखता उपयोग सो है लक्षण जाका ऐसी स्वच्छत्व नामा ग्यारमी शक्ति है। जैसी आरसाकी स्वच्छता प्रकाशरूप घटपटादि जामें प्रकाशै, तैसी स्वच्छता है ।
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