Book Title: Samayprabhrut
Author(s): Kundkundacharya, 
Publisher: Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi

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Page 643
________________ ५ फ्रफ़ फफफ पटूस्थान तिनिर्कारि वस्तुस्वभावका घटना बघना वस्तूके स्वरूपकूं ठहरनेकू कारण ऐसा ही कोई गुण है ताकूं अगुरुलघु गुण कहिये है । सो यह भी शक्ति आत्मामें है । क्रमाक्रमवृत्तिवृत्तलक्षणोत्पादव्ययत्र वत्वशक्तिः । 5 फ्रफ़ फ्र फ्रफ़ फफफफफफफफ 卐 प्रा 卐 अर्थ - क्रमवृत्तिरूप पर्याय क्रमदृशिरूप गुण सिनिफा वर्तन सो है लक्षण जाका ऐसी उत्पा- फ 5 बव्ययभ्रु वत्व नामा अठारमी शक्ति है । क्रमवर्ती पर्याय तौ उत्पादव्ययरूप होय हैं। अर सहवर्ता द्रव्यस्वभावभूतधौव्यव्ययोत्पादालिङ्गितसदृशविसदृशरूपैकास्तित्वमात्रमयी परिणामशक्तिः । गुणवरूप रहे है। 卐 अर्थ - द्रव्यके स्वभावभूत ऐसे धौव्य व्यय उत्पाद तिनिकरि आलिंगित स्पर्शित जे समानरूप अर असमानरूप परिणाम तिनिस्वरूप एक अस्तित्वमात्रमयी परिणामशक्ति उगणीसमी है । कर्मबन्धव्यपगमव्यञ्जित सहजस्पर्शादिशून्यात्मप्रदेशात्मिका मूर्तन्वशक्तिः । अर्थ -- कर्मबंधका अभावकरि प्रकट व्यक्त भया जो स्वाभाविक स्पर्श रस गंध वर्णकरि शून्य रहित आत्माका प्रदेश तिसस्वरूप अमूर्तत्व नामा शक्ति वीसमी है । सकलकर्मकृतज्ञातृत्वमात्रातिरिक्त परिणामकरणोपरमात्मिकाकतु स्वशक्तिः । 卐 अर्थ- समस्त कर्मकार किये ज्ञातापणामात्र अतिरिक्त कहिये न्यारे परिणाम तिनिका 卐 फ करनेका उपरम कहिये अभाव तिसस्वरूप अकर्तृत्वशक्ति इकईसमी है । आत्मा ज्ञातापणासिवाय फ • कर्मकरि किये परिणामका कर्ता नाहीं है, यह भी यामैं शक्ति है। 卐 सकलकर्मकृतशातृत्वमात्रातिरिक्तपरिणामानुभवो परमात्मिका भोक्तृत्वशक्तिः । 卐 अर्थ — सकलकर्म निकरि कीया ज्ञातापणामात्रतें अतिरिक्त न्यारे जे परिणाम तिनिका 15 'अनुभव कहिये भोगना तिसका अभावस्वरूप अभोक्तृत्व नामा बाईसमी शक्ति है। आत्मा ज्ञातापणासिवाय अन्य परिणाम कर्मके किये हैं, तिनिका भोक्ता नाहीं है यह भी पार्ने शक्ति है। 5 सकलक परम प्रवृत्तात्मप्रदेशनंष्पन्द्यरूपानिष्क्रियत्वशक्तिः । ६२ अर्थ- समस्त कर्मका अभावकरि प्रवर्त्य जो आत्माका प्रवेशका नैष्पन्य कहिये निश्चलपणा 5

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