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5 तातें तेराको समस्यातें तेराका भंग कहिये ॥२९॥१३॥ बहरि जो पापकर्म अतीतकालमें मैं' उप - अन्यकुंप्रेरिकरि कराया मावचनकायकरि सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ। यह तीसका भंग है।..
या कारित एक ले, मन वचन काय तीनू लगाये । ताते एक तीयाते तेराकी समस्याते तेराकाका 9 भंग कहिये ॥३०॥१३॥ बहुरे जो पापकर्म में अतीतकालमैं अन्यकू करतेकू मला जाण्या मनकरि ।
वचनकरि कायकरि सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ । यह इकतीस भंग है। यामैं अनुमोदना। 卐 एक ले, मन वचन काय तो लगाये। ताते एका तीया तेराकी समस्यातें तेराका भंग है .. ॥३१॥१३॥ ऐसे तेराके समस्याके तीन भंग भये ।
। बहुरि जो पापकर्म अतीतकालमैं मैं किया मनवचनकरि सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ । 1- यह बत्तीसवां भंग है। यामैं कृत एक ले, मन वचन ए दोय लगाये। ताते बाराकी समस्यातें ...
बाराका भंग कहिये ॥३२॥१२॥ बहुरि जो पापकर्म में अतीत कालमें अन्यकू प्रेरकरि कराया म मनकरि वचनकरि सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ। यहे तेतीसवां भंग है । यामें कारित एक ले,..
मन वचन ए दोय लगाये। ताते एका दुवा ऐसी बारहकी समस्याते बाराका भंग कहिये। ॥३३॥१२॥ बहुरि जो पापकर्म अतीतकालमै मैं अन्यकू करतेकं भला जाण्या मनकरि बचनकरि सो यह पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ। यह चौतीसवां भंग भया। यामैं अनुमोदना एक ले, मन" वचन ए दोय लगाये । ताते एका दूवा एसा वारहका भंग कहिये ॥३४॥१२॥ बहुरि जो पापकर्म) अतीतकालमैं मैं किया मनकरि कायकरि सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ। यह पैतीसवां भंग है।.. यामें कृत एक ले, मन अर काय ए दोय लगाये। तातें वारहकी समस्यात वाराका भंग कहिये, ॥३५॥१२॥ बहुरि जो पापकर्म अतीतकालमैं अन्य प्रेरिकरि कराया मनकरि कायकरि सो
पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ । यह छतीसवां भंग है। यामें कारित एक ले, मन अर काय ए दोय" 卐 लगाये ताते वारहकी समस्यातें बारहका भंग कहिये ॥३६॥१२॥ बहुरि जो पापकर्म अतीत
कालमै मैं अन्यकू करतेषू भला जाण्या मनकारि कायकरि सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ। यह
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