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म बहुरि वर्तमानकर्मकू में नाहीं करूं हों, अन्यकं करते• भला :नाहीं जानू हौं मनकरि, यह 1
इकईसा भंग है। यामें कृत अनुमोदना इनि दोयपरि एक मन लगाया । तातें इकईसकी स+मस्या भई १२१॥२१॥ बहुरि वर्तमानकर्म अन्यकू प्रेरि में कराऊ नाही हौं, अन्य करतेकू भला ॥ - नाहीं जानूं ही मनकरि, यह वाईसवां भंग है । यामें कारित अनुमोदना इनि दोयपरि एक मन "लगाया । तातें इकईसकी समस्या भई । २२।२१ । बहुरि वर्तमानकर्मकू में नाहीं करूं हों, अन्यकू' करि कराऊ नाही हौं वचनकरि, यह तेईसवां भांग है। या कृत कारित इनि दोयपरि एकवचन
"लगाया । तातें इकईसको समस्या भई । २३।२१ । बहुरि वर्तमानकर्मकू में करूं नाही हो, अन्यकुंभ 卐 करतेषू अनुमोदू नाही हौ वचनकरि ऐसा चोईसर्वा भंग है। यामें कृत अनुमोदना इनि दोय- । - परि एक वचन लगाया । ऐसी इकईसकी समस्या भई २४।२१ बहुरि वर्तमानकर्मकू में अन्यकू ।
प्रेरि कराऊ नाही हौं, अन्यकू करते• अनुमोदू नाही हो, वचनकार ऐसा पचीसवां भंग है।" यामैं कारित अनुमोदना इनि दोयपरि एक वचन लगाया । ताते इकईसकी समस्या भई । २५॥" " २१ । बहुरि वर्तमानकर्मकू में नाही करू हो अन्य प्रेरि कराऊ नाही हौ कायकरि, ऐसा ॥
छत्रीसा भग है । यामै कृत कारित इनि दोयपरि एक काय लगाया । तातें इकई सकी सम
स्या भई । २६।२१ । बहुरि वर्तमानकर्मकू मैं नाही करू हौं, अन्यकू करते• भला नाही फ़ जानूं हौं, कायकरि, ऐसा सताई सशं भक्त है। यामैं कृत अनुमोदना इनि दोयपरि एक काय -
लगाया। ताते इकईसकी समस्या भई । २७।२१ । बहुरि वर्तमानकर्मकू में अन्य प्रेरि कराऊ ।
नाही हौ, अन्यकू करते• अनुमोदू नाही हौ कायकरि, ऐसा अठाईसवां भङ्ग है। पामै . कारित अनुमोदना इनि दोयपरि एक काय लगाया। तातें इकईसकी समस्या भई । २८१२ ।
ऐसे इकईसके नव भंग भये।। प्र .बहुरि वर्तमानकर्मकू मैं नाही करू हौं मनकरि ववनकरि कायकरि, ऐसा गुणतीसवां भंग है । "यामैं एक कृलपरि मन वचन काय तीनें लगाये। तातें तेराकी समस्या भई ॥२९॥१३॥ बहुरि ।
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