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जज नाहीं जानू हौं, वचनकरि कायकरि, ऐसा चालीसवां भंग है । यामें एक अनुमोदनापरि वचन ।
"काय ए दोय लगाये । तातें बारहकी सयस्या भई । ४०१२ । ऐसे नव भंग बारहके भये ।। 卐 बहुरि वर्तमानकर्ममैं नाही कारू ही मनकरि, ऐसा इकतालीसको भंग है। यामें के ... एक कृतपरि एक मन लागा। तातै ग्यारहकी समस्या भई । ४।१ । बहुरि वर्तमानकर्मकू"
अन्यकू पर मैं नाहीं कराऊ हौ, मनकरि, ऐसा बियालीसा भग है। या कारित एकपरि ॥ एक मन लागा तातें ग्यारहकी समस्या भई । ४२।११। बहुरि वर्तमान कर्मकू में अन्यकू "करतेकू अला नाहीं जानू हों मनकरि ऐसा तियालीसवां भंग है। यामें एक अनुमोदनाम
परि एक मन लगाया । तातें ग्यारहकी समस्या भई । ४३।११ । बहुरि वर्तगनकर्मकुं मैं .. __नाही करू हौं वचनकार, ऐसा चवालीसवां भंग है। यामें एक कृतपरि वचन एक लगाया। जताते ग्यारहकी समस्या भई ।४४|११ । बहुरि वर्तमानकर्म में अन्यकं प्रेरिकरि नाही .- कराऊ हौं वचनकरि, ऐसा पैतालीसवां भंग । यामैं एक कारितपरि एक वचन लगाया । ताते
न्यारहकी समस्या भई । ४११ । बहुरि वर्तमानकर्म में अन्य करते• भला नाहीं जानू पर ही वचनकरि, ऐसा छियालीसवां भंग है । यामैं एक अनुमोदनापरि एक वचन लगाया। तातें "ग्यारहकी समस्या भई । ४६।१ । बहुरि वर्तमानकर्मकू मैं नाही करूं हो कायकरि, ऐसा सेतालीस भङ्ग भया । यामें एक कृतपरि एक काय लगाया। तातें ग्यारहकी समस्या भई ४७
११ । बहुरि वर्तमानकर्मकू मैं अन्यकू प्रेरि नाही कराऊ हो कायकरि, ऐसा अठतालीसवां भङ्ग । ऊहै । यामैं एक कारितपरि एक काय लगाया। तातें ग्यारहकी समस्या भई । ४८।११। वहरि . .... वर्तमानकर्मकू' में अन्यकू करताकू भला नाहीं जानू हौं कायकरि, ऐसा गुणचासवां भङ्ग है।
यामें एक अनुमोदनापरि एक काय लगाया । तातें ग्यारहकी समस्या भई । ४६१११ । ऐसें ग्यार-म -हकी समस्याके नव भङ्ग भये। ऐसे आलोचनाके गुणचास भंग हैं । इनिमें तेतीसकी समस्याका "एक १। बत्तीसका तीन ३। इकतीसका तीन ३ । तेईसका तीन ३ । बाईसका नव ६ । इकई
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