________________
+
+
+
+
+
+
सेतीसवां भंग है। यामैं अनुमोदना एक ले, मन अर काय लगाये। तातें चारहकी समस्यातें .. बारहका भंग कहिये ॥३७॥१२।। बहुरि जो पापकर्म मैं अतीतकाल में किया वचनकरि कायकरि । सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ। यह अठतीसवां भंग है। यामैं कृत एक ले, वचन अर काय । दोय लगाये। तातें बारहको समस्यातें बारहका भंग कहिये ॥३८॥१२॥ बहुरि जो पापकर्म अतीतकालमै मैं अन्यकू प्रेरिकरि कराया वचन कायकरि सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ। यह
गुणतालीसवां भंग है। यामैं कारित एक ले, वचन काय दोय लगाय, तातें बारहको समस्यातें + बारहका भंग कहिये ॥३९।१२।। बहुरि जो पापकर्म अतीतकालमें मैं अन्यकू करतेषू भला
जाण्या वचनकार कायकरि सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ। यह चालीसवां भंग है। यामें अनुमोदना एक ले, वचन अर काय ए दोऊ लगाये ! लाते बारड़की समस्यातें बारहका भंग कहिये ॥४॥१२॥ ऐसें बारहकी समस्याके नव भंग भये।
बहुरि जो पापकर्म में अतीतकालमैं किया मनकरि, सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ। यह इकतालीसवां भंग है । यामैं एक कृत ले, एक मन लगाया। तातें ग्यारहकी समस्यानै ग्यारह- -
का भंग कहिये ॥४१॥११॥ वहरि जो पापकर्म में अतीतकालमें अन्य प्रेरिकरि कराया मनकरि । 1- सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ । यह बियालीसवां भंग है। यामें एक कारित ले, एक मन
लगाया, तातें ग्यारहकी समस्याते ग्यारहका भंग कहिये ॥४२॥११॥ बहुरि जो पापकर्म अतीतकालमें मैं अन्यकू करतेकं भला जाण्या मनकरि, सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ। यह तियालि-卐
सवां भंग है । यामें एक अनुमोदना ले, एक मन लगाया। तातें ग्यारहकी समस्यात ग्यारहका ... 9 भंग भया ४३।११ बहुरि जो पापकर्म मैं अतीतकालमैं किया वचनकरि, सो पापकर्म मेरा मिथ्या
होऊ । यह चवालीसवां भंग है । यामें एक कृत ले, एक वचन लगाया। तातें म्यारहकी समस्यात् ।। । ग्यारहका भंग कहिये । ४४।११ । बहुरि जो पापकर्म अतीतकालमें में अन्य प्रेरिकरि कराया । - वचनकरि सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ । यह पैतालीसवां भंय है । यामें कारित एक ले, एक
++5卐
+
+
+++
म卐
-
-
-