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अनुमोदना लिया। अर मन काय लागे । तातै बाईसका भंग कहिये ।१५।२२ । बहुरि जो पाप, कर्म में अन्य प्रेरिकरि कराया, अर अन्य करतेकू भला जान्या मनकरि कायकरि सो पाप
कम मेरा मिथ्या होऊ । ऐसा सोलवा भंग है । यामैं कारित अनुमोदना लिया। मन काय लागा। जतातें बाईसकी समस्यातें बाईसका भंग नाम है । १६।२२ । बहुरि जो पापकर्म मैं अतोतकालमें)
किया, अर अन्य प्रेरिकरि कराया वचनकरि कायकरि सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ । यह ॐ सतरावां भंग है। यामैं कृत कारित लिया। बचन काय लाग्या । तातं वाईसकी समस्यातें बाईक 1. सका भंग कहिये । १७१२२ । बहरि जो पापकर्म मैं अतीतकालमें किया, अर अन्य करते ।
" भला जाण्या वचनकरि कायकरि सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ । यह अठारवा भंग है। यामै । + कृत अनुमोदना लिया । वचन काय लागे। तातें बाईसकी समस्याते वाईसका भंग कहिये । १८५
" २२ । बहुरि जो पापकर्म अतीतकालमैं अन्य प्रेरिकार में कराया, अर अन्य करतेकू भला 卐 जाण्या वचनकार कायकरि सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ । यह उगगोलवां भंग है । यामैं कारित ... अनुमोदना ए दोय लिये । अर वचन काय लागा । तातें बाईसकी समस्यातें बाईसका भंग कहिये ।। ।१९।२२ । ऐसे बाईसकी समस्याके नव भंग भये ।
बहुरि जो मैं पापकर्म अतीतकालमें किया, अर अन्य प्रेरिकरि कराया एक मनहिकरिब " सो पापकर्म मेरा मिथ्या होऊ । यह वीसवा भंग है । यामैं कृत कारित दोय लिया। अर एक
मन ही लागा । तातें दूवा एकातें इकईसकी समस्यातें इकईसका भंग कहिये । २०२१ । बहुरि ॥ " जो पापकर्म में अतीतकालमैं किया, अर अन्य करतेक भला ज्ञाण्या मनकरि सो पापकर्म म मेरा मिथ्या होऊ । यह इकईसवां भंग है । या कृत अनुमोदना ए दोय लिये। एक मन लागा।' __ तातें इकईसकी समस्यातें इकईसका भंग कहिये ॥२१॥२१॥ बहुरि जो पापकर्म किया में अतीत卐 कालमें अर अन्यकू प्रेरिकरि कराया, अर अन्यकू करतेषू भला जाण्या मनकरि, सो मेरा ।
पापकर्म मिथ्या होऊ । यह वाईसवां भंग है। यामें कारित अनुमोदना ए वोय लिये । अर एक ।
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