________________ 卐 तथा मोतपित्तापि ज्ञानदर्शनगुणनिर्भरपरापाहनात्मकस्वभावः स्वयं पुद्गलादिपरद्रव्यस्वभाषेनापरिणममानः पुगलादि द्रव्यं चात्मस्वभावेनापरिणमयन् पुद्गलादिपरद्रव्यनिमित्तकेनात्मनो ज्ञानदर्शनगुणनिर्भरपरपोहनात्मकस्वभावस्य " 卐 परिणामेनोत्पद्यमानः पुद्गलादिपरद्रव्यं चतयिनिमित्त केनात्मनः स्वभावस्य परिणामेनोत्पद्यमानमात्मनः स्वमायेना२३ - पोइतीति व्यवहियते / एवमयमात्मनो ज्ञानदर्शनचरित्रपर्यायाणां निश्चयव्यवहारप्रकारः / एवमेवान्येषां सर्वेषामपि / 卐 पर्यायाणां दृएव्यः / अर्थ-जैसी सेटिका कहिये सुपेदी करनेकी कली तथा खडी पांडु ऐसा द्रव्य है, सो, पर जो " ॐ भीति आदि ताकी सुपेद करनेवालो है / याते सेदिका नाहीं है, सेटिका है सो आप ही सेटिका है। तैसा ज्ञायक कहिये जाननेवाला है सो परद्रव्यका जाननेवाला है / याते ज्ञायक नाही है, "आप ही ज्ञायक है। बहुरि जैसी सेटिका है सो परकी सेटिका नाहीं है, सो आप ही सेटिका 卐 + है। तैसा दर्शक कहिये देखनेवाला है, सो परका देखनेवाला है। यातें देखनेवाला नाही है, आप .. ही देखनेवाला है / बहुरि जैसी सेटिका है सो परकी सेटिका नाही है, आप हो सेटिका है तैसा + 卐 संयत है, सो परकू त्यागे है / यातें संयत नाही है, आप ही संयत है बहुरि जैसी सेटिका है, सो.. .. परकी नाही है, सेटिका आप ही सेटिका है / तैसा दर्शन कहिये श्रद्धान है, सो परका श्रद्धानतें / श्रद्धान नाहीं है आप ही श्रद्धान है / ऐसा दर्शन-ज्ञान-चारित्रवि निश्चयनयका भाषित है1. कझा वचन है / बहुरि तिस व्यवहारका वक्तव्य है, सो संक्षेपकरि कहिये है, सो सुण-जैसी सेटिका अपने स्वभावकरि परद्रव्य जो भीति आदि तिनिकू सुपेद करे है, तैसा ज्ञाता कहिये // प जाननेवाला है सो परद्रव्य... अपना स्वभावकरि जाने है। बहुरि जैसी सेटिका अपने स्वभाव- ... करि परद्रव्यकू सुपेद करे है, तेता ज्ञाता है सो अपने स्वभावकरि परद्रव्यकू देखे है। बहुरि , जैसी सेटिका है, सो अपने स्वभावकरि परद्रव्यकू सुपेद करे है, तैसा ज्ञाता भी अपने स्वभाव करि परद्रव्यकू त्यागे है / बहुरि जैसी सेटिका है सो परद्रव्यर्फे अपने स्वभावकरि सुपेद करे है, " के तैसा ज्ञाता भी अपने स्वभावकरि परद्रव्य... श्रद्धे है। ऐसा जो दर्शनज्ञानचारित्रविर्षे व्यवहारका ... विशेषकरि निश्चय कया है, सो ही अन्य पर्यायनिविर्षे भी ऐसा ही जानना / $ 5 乐乐 乐乐 乐 五牙 牙 卐卐म 5