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राजविद्या। हे महामाया पते सर्व शक्ति पते पशुपते भवान सृष्टिमसृष्ट तस्यांमनुष्य स्वार्धानः विचाराधिक्य शक्ति सहितः इयं स्वाधीनताविचाराधिक्य शक्तिश्च महद्रलम् ॥
भाषार्थ
हे महामाया पति सर्व शक्ति पति पशुपति आपने सृष्टि को रचा है उसमें मनुष्य स्वाधीन अधिक्य विचार शक्ति सहित है और ये स्वाधी. नता अधिक विचार शाक्त बडा भारी बल है ।।
यदीयमधिक विचारशक्तिः स्वार्थ सुख भोगेश्वर्य मोहादिनामधिक्तामुहि प्रवर्तते तर्हि जगत्सु दुःसह दुःखवान भत्वा विन लक्ष्यति ॥
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