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राजविद्या। [३] सुख शान्तिः स्थिति के लिये है इसी तरह सेना रक्षा के लिय यदि सुख शान्ति स्थिति में फरक पड़े तो अयोग्यों को दूर करे । और उनकी जगह दुसरे सुयोग्य रखना राजाओं का परम धर्म है । अन्यथा राज्य दुसरों के अधिकार में चला जाता है।
মাখ प्रजाघु प्रतिशत्येको धर्मोपदेशकः एको वैद्य त्रय शिल्पकार्येषु चतुर विदयज्ञ विदुपोवरोपाशकाप्रति शति दश क्षत्रिया रक्षार्थम् पच परिचरिया क्षुद्रा सर्वेऽन्न शाकोषधयः फलान्यादि कृषी वाणिज्य गोरक्ष कार्येषु चत्वारशत षटत्रिजगदवश्यकोपयोग्याकरजधातु काष्ट पापाण मृतिका स्थि चरम कपास लोभ रुहां बल्कलकेशादि विविधकायार्थम् ॥
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