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दोष अवश्य ही होता है इसवास्तै थोड़े अपराद्ध पर देखा न देखा (आंखटाली) करना चाहिये और अच्छे करने पर प्रसन होना चाहिये और एमा वर्ताव शुद्ध चितवालों के माथरखे नके शट ठग धूर्त और झूटों के साथ मे और एमे ठग झुटों को दर ही रखना चाहिये जबतक उनके आचरण साफ तौर से परीक्षा के साथ शुद्ध न हो जाये ।। ये मब इकीस गुण कम जादा इकोस पुरुषोमे तो होवे ही । सोही राजावों की सत्सङ्गति है ।
श्रीमत्परम पवित्र सोम पाठ ६ राज्यांगानि प्रोच्यते राज्यशासन स्याटावंगान्यज समनसि चिंतयेत् ॥ प्रत्येकांगाधिकृतेन राज्ञो मंत्रिणा भाव्यम् तेच प्रत्येकांगाधिकृता सचिव प्रधान मंत्रिणोऽधस्तात् कार्य विदधीरन् । १ प्रतिदिनं सभ्यता बलान्विता साम•
न्ता वशवदा सेनावेतन परिगृहीत
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