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कारोस्ति ॥ परिपक्क वीर्ये पुष्टे तरुणे विवाह तथैवच॥ सदाचार शुद्धाधा णा तैश्च जगति सुख शान्ति स्थिरतार्थ जगडितार्थ मनुज संतति प्रथम शिक्ष णिया॥सार वा सर्वोपरी विद्योपदेश परारंभ शिक्षा परमोधर्मः ॥
भाषार्थ श्रीमत्परम पवित्र मोम पाठ ११ प्रजावों में तरह तरह भांति भांति की विद्यावों का प्रचार और इसी तरह धर्म प्रचार भी हो प्रजावां में शिक्षा करने के लिये सब जगह अनेक पाठशालायें स्थापित करना और उनके द्वारा सब तरह की विद्यायें विज्ञान शिक्षा दिलाई जाना राजावों का परम धर्म है | प्रजावां के दुःख दूर करने में जहां तक संभव हो यत्न कर। चाहिये। धर्मोपदेशक याग्य पण्डित सब तरह की जगह वेतन ( तनखा) पर वा उनकी रुचि अनुसार
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