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राजविद्या।
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का फरक पड़ता हो तो उस आज्ञा को थोड़ी वा साब फेर देनी चाहिये। पीछ मन्वन्तर के अनुसार वा नइ आजा का प्रचार प्रजा को विदित कर देना चाहिए ॥ साधारण राज कार्य करने के लिये समय मुकारर होना चाहिये । जब कभी कोई नई आज्ञा अपणी प्रजावों में चलाइ जाय
और प्राचीन चलती हुइ को फेर दीजाय वा पलट ने की आवश्यक्ता हो तो इतनी बातों पर ध्यान देना चाहिये कि इसका असर मुजपर क्या पड़ता है १ मेरी प्रजावों पर क्या असर होगा २ अपणे उपरी राज्य में क्या असर होगा ३ दुसरे राजावों श्री प्रजा में क्या असर पड़ता है ४ सर्व साधारण प्रजावों में क्या असर होगा फेर एसा काम पड़ने में किस तरह होगा ५ जो कोइ दुसरा एसा करे तो मुजको कैसा मालूम होगा । प्रजादों का साधारण न्याय वा काम प्रजावों में से मुरिर किये हुवे पत्रों के ही हात भे होना चाइये ।।
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