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राजापथा ।
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स्ववृधि वलयोर्भेदः परेषु जनेषु न प्रकाशयेत् ॥ देवानां ऋषिणां वा सर्व सा धारणां जलाकाश पाताल वा पदादि पंथाः वाणिज्यंचैक राज्य प्रजानामपर राज्य प्रजाभ्यो निरुद्धो न भवेत् ॥ कस्याप्येकस्य राजा सहायतां न दद्यात् किन्तु यत्र तयोपराधी तदेशस्य राज्ञायाचितो तस्मै
राजस्यापराधिनमपर
समीत ॥
भाषार्थ
श्रीमत्परम पवित्र सोम पाठ १३
सीमापरे दुसरे राजावों के साथ कार्य तथा अपने राज्य के मिश्रित वृतान्तों का हाल दुसरे राज्य के वृतान्तों का हाल यस वेष पुरुषों से जानता रहे || प्रेम धर्म और न्याय के साथ और शुद्ध भावना से कार्यों को करे || आत्मा से आत्मा उच्च रखे || प्राचीन स्वाभाविक और उपयोगी
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