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राजविद्या [१११] णीया कार्यकुशलाः पुरुषाः सर्वे वृत्ता न्तं राज्ञ निवेदयेयुः सुपरीक्षिता राजा ज्ञा एव देश प्रबन्धः नियमः प्रोच्यते तेन च समीचीनेन भाव्यम् यतःप्रजा जनाः सुखिनोभवेयुः प्रजासु सौख्य स्थितिरेव राज्यनियमप्रयोजनमस्ति ॥
भाषाथे
श्रीमत्परम पवित्र सोम पाठ १८ छाने गुप्तवेश रहकर जगत के वृत्तान्त ( हाल ) की खबर देनेवाले पुरुष रक्षाकरने वाले पुरुष और पायदला ॥ प्रजावों में फिरकर गुप्तवेष पुरुष प्रजावोंका हाल जानकर राजा का खबर देने वाले पुरुष राजा की आंखें है जिनसे राजा सब हाल को देखतार है कुच्छ काल तक राजा प्रजा का हाल सुनता रहै ।। राज्यमें शहरों में गांवोंम रक्षा करनेवाले पुरुष काम में प्रवीण काम को जानने वाले और सत्यवादी मुकरिर हो और जो
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