Book Title: Rajvidya
Author(s): Balbramhachari Yogiraj
Publisher: Balbramhachari Yogiraj
View full book text
________________
For Private And Personal Use Only
२
ज्याय तरूपपुरुषः न्याय प्रबोधयति जपनावेन भूमिः शासनम् सः बुआक्रायः १ स्वदेश मातृभाषा स्वप्रतिज्ञा सत्यम् ३. स्व वीर वेषम् ४ स्वदेश शुद्ध बेलीष्ट भोजनम् * जो जे पुरुषार्थ: (६ निरापुराधिन्यः सम दुष्टी दया उष्टराण्ड ● विद्वान वीर गुणी जनाना साकार सुमात्र दान समूहसा यथार्थ निर्णय: निर
यात्रान
१०. शुद्धानेश्वर मानेन परिक
नग
११ प्रजा सुरन शानी स्थिति
श्रबधानां स्थेयम्
सर्व उपयोगी नं पश्येत रहाये सुधायतें
थाक्रम दया वनम
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir

Page Navigation
1 ... 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308