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राजविद्या। [ १२०]
भाषार्थ मित्परम पवित्र सोम पाठ २० राज्य करने की शक्ति ( ताकत )प्रबन्ध और सदाचार ( अच्छे नक चाल चलन) पृथिवी जल अनि वायुः चन्द्र सय्य यम और इन्द्र इन सबके तेजसे राजा अपने तेज की धारण करें ॥ धर्मात्मा ओर पापात्मा सबको पृथिवी अपने ऊपर धारण करती है इसतिरह राजा पृथिवा समान क्षमा और पालनाभी सीखें ॥जैसे जल अपने गुणों का के जिस किसी को आना करक बान्धेरखता है इसी तरह ऐक्यता जल से सीखें एक्यता से हीन खोटेकर्म करनेवालों को तुरत बन्धवाकर अपने आधीन में करले ॥ जगत की सभ्यता की स्थिति में राजा अनि समान उपयो. गीहो ॥ अपनी . आग्निभी स्पृश (छनेवाला) करने वालों को जलादेनी इसी तरह राजा अपने प्रोवगणों को भी स्लो चलने से ओलबा और गिड़क कर तिरषकार कर देवें ॥ जसे वायु स्थावर
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