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राजावद्या ।
[ ९८५ राज्य भार ( राज्य कार्याणी ) राजा सब राज्य का भार अपने ही ऊपर न ले पात् पारमार्थिक विश्वास पात्र शुभ आचरण वाले दिव्य गुणवाले शुद्ध विचारव.न पंण्डित कुलवान धर्मात्मा काम को जानने वाले काम को संभालने वाले तजरुबे कार न्याय और सत्य में जिनकी राति हो और अपणे मालिक के शुभ चिन्तक हो और जिनकी सिकायत न हो सलाहकार हो ऐसा में मुआसिम तौर से राज्य कार्यों के भार को बांट द | प्रजब के उचित कार्यों में प्रजाकी भी सम्मति ले ॥ मुमकिन हो जैसा योग्य हो कार्य को देना चाहिये ।। जैसा चाहिये उसी तरह किया जाय ॥ प्रजावों के साधारण न्याय और साधारण काम प्रजा में सही अच्छे बड़े २ पांचों के हात में होने यग्य है ॥ प्रजावों की शुद्ध धारणा शुद्ध भावना को बिगाड़ने के कामों में वा उसे कामों में इसी तरह जगत् हानिकारक काम में हस्ता. क्षेप ( दस्तंदाजी) करना राज्य को आधिकार
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