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[८६J राजविद्या।
শায়খ श्रीमत्परम पवित्र सोम पाठ १० शिल्प औषधालय चिकित्सालय शरीर ब्यच्छेदा. लय अनाथालय वायुः जलशुद्धि पुर स्वच्छतादि प्रजा के काम ।। राज्य की पैदाइश जिसका दशवा हिस्सा प्रजाहित के लिए मुफर्रिर हो जिस्से शिल्प विद्या का प्रचार हो अनाथालय औषधा लय (सफाखाना ) चिकित्सालय वायु जल की शुद्धि और पुर स्वच्छता ( सेहर सफाई) आंधी पांगला अनाथ बालकों विश्वास्त्रियों की तथा अपणा पोषण करने के असमर्थ हो उनके पोषण के लिये और पशु चिकित्सादि परम अवश्य काम स्थापित हो || न्यायालया अधिकरणों की वादीयों की सायरात के मकानादि राज्य के मकान स्थापित करें ।। प्रजा कार्यों के अनुसार आवश्यक्ता मुजिब स्थापित करना उचित है। जिस वस्तु (चीज ) की स्थिरता (पायदारी अवश्य है वह पायदार हो यंत्र कला के काम वर्णशंकर शूद्र
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