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स्वाथा न हा ॥ दूर साचन वाल हा पूर हा) पावत्र हो । न्याय और सत्य में जिनकी रति हो । कुलीन हो || धीरज वान हो || बुद्धि मान हो || शुद्ध चलन के हो जिन के आचरण अच्छे हो !! प्रवीण हो । चातुर हो ॥ राज के हित में जिनकी रति हो । अपने मालिक का शुभ चिंतक हो और जिनकी जगत सिकायत न करते हों । पण्डित हो । परायेके चित की बातको लख ले ताहो || वीर हो || अस्त्र शस्त्र और राज विद्या के अभ्यास में परिपूर्ण हो ॥ जहांतक हो सब कर्मचारी एकदेश (स्वदेश।) हो । नकी देश हित के अनुभव से रहित || इन अच्छी संगतियों से सुकृत बनता है वह वर्तमान सुख को सहायता कर के उसको बदाकर के आनंदे सुखों के लिये उच्च योनियों में जन्म होने का कारण होता है सुकृत जादे करके अच्छी संगती से होता है | सब में सब गुण होना असंभव है वा दुर्लभ है बड़े स बड़ों में और अच्छे से अच्छों मेभी कोइ कोइ
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