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[७६] राजविद्या। प्रति दिन शिक्षिता सभ्यता बलवान सामन्तों की अपने वश में सेना इसी तरह नोकर सेना ।। सेना पुर और राज्य की रक्षा के लिये हो और रक्षाधिकृत पुरुषों ( रखवाल ) की सहायता के लिये हो और साम्राज्य की रक्षा के लिये हो । वा हमेसा शिक्षिता सभ्यता और बलवान अवश्य हो । प्रत्येक को अपना बल वा अपने समस्त बान्धवों का संबन्धीयों का और अपनी अपनी सेनाबल न कभी भी कम करना चाहिये इन सबों के आश्रे ही राज्य है ॥ समस्त वेतन ( नोकर) सेना वीर कुलीन बुद्धिमान क्षत्रिय पास शुद्धा की देख भाल मे उसके हात में हो। क्षत्रियों की मान प्रतिष्टा स्थिरता के लिये उनके लिये जुदा न्यायालय और दण्ड संग्रह हो न के मिले हुवे सर्व साधारण प्रजा के साथ वर्ते जाय और जो क्षत्रिय भी सर्व साधारण प्रजाके माफिक वर्तेजाय तो प्रथम उनके धर्म और मान की बड़ी हानि होती है दुसरा उन की वीरता और मनोत्साह का
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