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राजविधा !
उपर को जाती है ऊंडी नहीं जाती वे सब तनषा
नाक जल शुद्ध रत चाहती है राजा या दुसरे से अपने आप नहीं खींच सकती है जड़े तथा वृक्ष का एक सम्बन्ध वृक्ष की स्थिति है ।
सम्राट रूप वृक्ष जड़ों के आ है उसकी बड़ी जाडी जाडी जड़ें बल पक्ष में महाराजा है इसी तरह बुद्धि पक्ष में बुढे क्षत्रियां जगत के तजरुचे कार ब्राह्मण तथा वैश्या फेर उनके बाद जाडी जड़े वल पक्ष में सामन्ता है इसी तरह बुद्धि पक्ष में बुद्धिमान क्षत्रिया राजविद्या के पण्डित ब्राह्मण तथा वैश्या उनके बाद की जाडी जड़ें बलपक्ष में राजा याने राव इसी तरह बुद्धि पक्ष में प्राज्ञा स्वार्थ की अधिकता से निस्पृह ( इच्छा न करने वाले ) फेर स्थूल जड़ें बल पक्ष में ग्रामाधिपतयः ( ठाकर ) इसी तरह बुद्धि पक्ष में अपने मालिक का शुभचिंतक क्षत्रिया ब्राह्मण वा वैश्य राजविद्या के जानने वाले फेर सूक्षम जड़े ( पतली पतली जड़ें ) भूम्याधिपतयः बल पक्ष में इसी तरह बुद्धि
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