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राजविया। तरह शिक्षित सभ्य दुर्ग सेना ॥ क्षत्रियों को भूमि दान से मतलब उस भूमि के सारे तत्वों पर मालकी हो याने वहां के सब तत्व उनके अधिकार में हो ॥ जिस किसी राजा के अधिकार में बोहत से क्षत्रिय मालकी भाव के साथ होने से उस राज्य की समस्त भूमि में गज्य की स्थिरता को अखण्ड करती है । इस तरह राजविद्या के शिक्षित क्ष. त्रियों का मालकी भाव उस राज्य की जड़ों
और शाखां जब तक स्थिर रहती है तब तक राज्य भी स्थिर रहता है और जब ये शाखा जहां जितनी कम होती है उतनी ही स्थिरता की हानियें है। राजा सिरफ नोकर सेना ही से कभी समय के फेर में आजाता है और राज्य से भ्रष्ट होजाता है । बोत सामन्त और जागीरदारों से राजा की स्थिरता को दृढ करता है । सिर्फ नो. कर फोज रूप जड़ें अपने आप पृथिवी तल से नीर शुद्धारस न खेंच सकती हैं उनकी जड़ें भी
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