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राजविद्या। [७] शुद्धाधारणा जो विघ्न रहित है सो ही शान्ति है ।
११-शुद्धभावना. सर्वे शुद्धचित्तेन जगद्धितार्थ पारमार्थिक विचारः शुद्धभावनाः।
भाषार्थ सर्वे शुद्ध चित्त से जगत् के हित के लिये पारमार्थिक विचार शुद्धभावना कहलाती है।
१२-सुख. यथेष्टं स्वानुकूल पदार्थानां प्राप्ति सुखम् वा तदतिरिक्तं दुःखम् ।
भाषार्थ इच्छा कीया हुवा वा अपने अनुकूल पदा. र्थों की प्राप्ति सुख है और इसे विरुद्ध दुःख कहा लाता है।
१३-लोभ, अज्ञतया प्रायः सुखाभिलाषः लोभः।
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