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राजविद्या।
९--सेना. वीर सुभट जितेन्द्रिय प्रतिदिने परिश्रमेऽभ्यासे चास्त्र शस्त्राणामभ्यासे परिपूर्णः सभ्यता शिक्षिता बलान्विता सज्जिता पुरुषाणां समूह सेनाप्रोच्यते।
भाषार्थ सेना-वीर सुभट जितेन्द्रिय और हमेशा महनत और अब शस्त्रों के अभ्यास में परिपूर्ण हो और सभ्य शिक्षित और बलवान् सजे हुवे पुरुषों का समूह सेना कहलाता ह।
१०-शद्धाधारणा. सर्वे परस्परं सुखेन प्रवर्त्तते सेव शुद्धाधारणाः साऽपि विघ्न रहिताश्च शान्तिः।
भाषा
शुद्धाधारणा-सब आपस में सुख से रहने की प्रवर्ती रखें येही शुद्धाधारणा कहलाती है।
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