________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
[३०]
राजविद्या। परि जायते यस्मात्साजाति हस्थति ॥
भाषार्थ वीर वेषको छोड़ने से अपने मनकी गति विचार प्रेरणा फिर जाती है जिस्से शुद्ध भावना भी उलटी होजाने से धन का नाश होजाता है और शुद्ध भावना विगड ने से वह जीवात्मा अ. पनी जाति में जन्म नहीं लेशक्ति है जिस्से वा जाति घट जाती है ।
स्वजातेः विवाह परित्यागेन स्व दाराणां स्व सन्ततिश्च स्व जातेक्षति जायते वर्णशंकरश्च सम्भवमाप ॥
भाषार्थ अपणी जाति का विवाह त्यागने से अपणी स्त्रियां और सन्तति और अपणी जाति का नाश होता है और वर्णशंकर भी पैदा होते हैं ।
पुरुषार्थ परित्यागेन प्राणानां हा
For Private And Personal Use Only