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राजविद्या।
[३६] चेकैक हेमन्ते ग्रीष्मे शिशिोच इत्थंचे दृश पौरुषान्वितस्य पुरुषस्य बलवती दीर्घायुश्च सन्ततेरुत्पति सम्भाव्यते ॥
भाषार्थ __ एक संवत्सर में ऋतुकाल बारे है अथवा तीन वर्ष में ही बारे हैं और तीन तीन वसन्त वर्षा और शग्दी में और एक एक हेमन्त में ग्राम में और शिशिर ऋतु में इस तरह पौरुषवान पुरुष की बलवान दीर्घायु सन्तान उत्पन्न होती है ॥ ॥ तरुण्यावस्था प्रोच्यते ॥
अति शीतले देशे पुरुषस्य पञ्च चत्वारिशत वर्षाणि यावदुत्तमतारुण्य प्रारम्भः स्त्रियाश्च त्रिशयावत् ॥ मध्यम पुरुषस्य च तारुण्यं पश्च विशात वर्षा णि स्त्रियाश्च विशति ॥ कनिष्टं तारुण्यं
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