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राजविद्या चिंतक रहे संगत मे बुढ्ढे बुद्धिमान पण्डित और सज्जनों के साथ सभा सम्मति रखे मातृ भाषा से प्रीति रखे अपना देशी शुद्ध भोजन करे अपना देशाहीवीर वेष र ने फर प्रजा के हित चाहने वाले हो प्रजा को सुख शान्ती आरोग्यता संपदा
और धन घल्य मे पूर्ण रखे और उपयोगी स्थावा जंगमों के साथ भी न्याय वर्ते ॥
श्रीमत्परम पवित्र सोम पाठ २ राज्य स्थापनम् ॥ महादेवी प्रश्न-प्रत्येक ब्यक्तः वा सर्वेषां ब्यक्तीनांच को मुख्यो धर्मोऽस्ति ॥ ईश्वर उवाच-धर्मशा शान्ति प्रबन्धन सहिता सप्रेमणाप्रभाराज्ञा पालनीयम्॥ अहार सुख दुःखादि ज्ञानमाय (युक्त) वृक्ष वनस्पत्यायचरःचरे मनुष्य पशवः ते सर्वेऽहार सुख दुःख भयक्रोध निद्रा
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