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राजविद्या। । ५३] धर्म धर्म से इष्ट इष्ट से वीरता वीरता से जितेन्द्रिय पन्न इस्से बल बल से बुद्धि और बल बुद्धि इन दोनु से पुरुषार्थ कीया जाय सोही राज्य है। वह प्रसिध राज्य जब है जिसमे मुद्रा माप और तोल जुदा है और समाचार पत्रालय डाणघर और आन चलती हो और एक प्रसिध जाति वजा रंग और निशान से जुदि हो ।
श्रीमत्परम पवित्र साम पाठ ३ किमर्थ गज्यं समर्पणम्। सृष्टिरियं मया राजपु निक्षेप इव समर्पिता एनां संततं वृद्धिं कुर्यः भूभृद्भ्यः स्वप्रभुणा राज्यमे तदथ समर्पितम् यतैर्लोक हितषिभिः प्रजानु जन शालेश्च भाब्यम् नतुस्वा. त्म भोग तत्परैर्भाब्यं केवलम् ॥ राजा स्वसंतति पुत्र निविशेष प्रजां रक्षेत् प्रकृति रंजनात्राजा ॥ योनृपः स्वकर्मणा
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