________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
राजविद्या।
[१३] का प्रीति संपादक हो । पारमार्थिक भाव रखे और दान में उत्साह रखे इस तरह महा शक्ति के पति और अशुभ को नाश करने वाले के साथ उनकी अनुग्रह से निर्मल होकर क्षत्रियों के हित के लिये राजविद्या प्रकाश की जाती है जिस्से पृथिवी चंद्र और तारों तक उनका राज्य स्थिर रहे और मान के साथ मनुष्य पनका सुख मिल. ता रहै ॥ १० ॥
सृष्टेर्मुखशान्तिःस्थितिः प्रबन्धानां स्थैर्य सर्गे प्रारंभे शिव शक्त्यार्य समवादोभूत स एव तेज शक्तिः सुमतिर्मणि राजविद्याया प्रथमोपदेशोऽस्ति य भगवाना विवस्वते प्रोवाच । पश्चात्परम्पराणोक्तवान व्ययमसोऽपि समये समये लुप्त प्रकाशश्च बाभूयते।
भाषार्थ सृष्टी की सुख शान्ति स्थिति और प्रबन्धों
-
-
-
-
For Private And Personal Use Only