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राजविद्या ।
६--तेज. आलस्य रहितः वास्वस्तेर्विनाय कृयते सतेजः प्रकाशरूपत्वम् ।
भाषार्थ
आलस्य रहित वा विना सुस्ती के करना वह तेज है और ये प्रकाश वान है ||
७-त्याग.
दुम पदार्थादिभ्यो निकृष्ट कुकृत्यानां परिहरणमेव त्यागः ।
भाषार्थ
हरेक वस्तुवों में खोटा लोभ और निकृष्ट खोटे कामों को छोड़ ना ही त्याग है |
८-- सत्सङ्गति.
काम क्रोध लोभ मोहांकाराणामधिक्यं निरुन्धानां तांच संभावेन वशी
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