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राजविधा। [1 ४--किंवलम्. कर्तुशक्नोति यत्कार्य येन तद्वलमुच्यते॥ जिस्म जो काम कीया जाय वह बल है ।
५--तप. परिश्रमेण कार्य संपादनमेव तप इति प्रोच्यते सर्व तेजोरूपत्वम् वा शरीर वाङ मनसापरिश्रमं करोतीतितपो. च्यते॥ शस्त्रास्त्राणामभ्यासो महाँतपः॥
भाषार्थ मेहनत के साथ काम करना ही तप कहला. ता है वह तेजरूप है वा शरीर बाणी और मन से परिश्रम करना तप है और अस्त्र शस्त्रों का अभ्यास महाँ तप है ॥
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