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राजविद्या।
[२] धारणा जिस्से सृष्टि के सुख शान्ति स्थिति और प्रबन्धों की स्थिरता बनी रहै वही धर्म है ।।
२-राज्यकिम्. धर्मेण सहाज्ञाफलं साऽपि साम दान भेद दण्डैः सहः परिवर्तनम् ।
भाषार्थ राज्यक्याई? धर्म के साथ आज्ञा का चलना वा साम दान भेद और दण्ड के साथ हो॥
३-केयंविद्येति. पदार्थानां याथा तथ्यज्ञानमिति विद्या चेच्छाकृति श्चातो विद्या सर्वोपरी यथार्थ ज्ञानमे। ही महाँ बलम् ॥ __येविद्याक्याहै? पदार्थों का यथा योग्य ज्ञान इसे इच्छा कीया फल मिल सकता है इसे ये विद्या सर्वोपरि है जैसा चाहिये वसा ज्ञान होना महान बल है ।
भाषार्थ
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