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राजविधा।
[ १] है जिससे लघुता ( छोटा पन ) पांति आता है।
वीर सुभट क्षत्रियों के लिये पान्धव सबन्धीयां के लिये भूमी देने से राज्य घटता नहीं है परंत वृधि को पाता है राज्य की जडे अधिक होती है।
जिस किसी राज्य के अधिकार में अधिक अधिक बान्धवों सबन्धी वीर सुभट, क्षत्रिय है वह राज्य अछी दृढता को पाता है योग्यता नुसार दाय विभाग कम जादा दीया जाता है राजविद्या के अनुसरण को त्याग ने से अन्याय से राज्य घटता है परंत वीर सुभटों को भूमि विभाग देने से नही जैसे प्रकृति स्वभाव नियम के विरुध अधिक सुधि नही होती है। संतति बान्धवों के लिये आधे से सो अंश तक भूमि विभाग और चर संपत्ति मे से शरीर यात्रा नुसार । माता के लिये चर संपत्ति मे से उसके पोषण से लेकर बीसा अंश तक देना चाहिये।
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