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राजविया ।
में हो । अपनी इच्छा नुसार चलना । विचार शक्तिः- ज्ञान के सार को देखना । मन चित्त बुधि अहंकार से दूर देखना याने विचारणा । तर्क वितर्क करना । प्रमाण से वस्तु की परिक्षा करना । प्रश्नोतर करना । विचार शक्तिः संप्रसा. रणम् सात तरह से-शुद्ध आस्तिक भाव के साथ १ उच्च परमार्थिक भाव के साथ २ रक्षा न्याय माल की भाव के साथ ३ पुण्य धर्म ईश्व. राराधन मुपाशनम् प्रबन्ध भाव के साथ ४ दया करुणा अहिंसा भाव के साथ ५ स्वार्थ सुख भागेश्वर्य मोह की अधिक जीवां में दुष्ट नीच भाव के साथ ६ शुद्र उच्च मालकी भाव से सृष्टि के सुख शान्ति स्थिति अरोग्यता संपति ऋषि धन आयुस की वृधि के वास्ते । विवार अनन्त हमेश है उनको सबको आवश्यक्ता नुसार अच्छो बुद्धि बल से विस्तार करना चाहिये निरर्थक कुछ भी न करना चाहिये वो विचार शक्ति महां बल है। स्वार्थ रूप असुर और दुर्मति रूप पिशाचनी को
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